नई दिल्ली : उम्र का बढ़ना तो एक नेचुरल प्रक्रिया है, इसलिए उम्र बढ़ने को लेकर चिंता करने की बजाय सेहतमंद रहने के तरीकों के बारे में सोचना चाहिए। खासकर, अपने 50वें दशक में प्रवेश कर रही महिलाओं के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है। इस उम्र में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव सेहत पर उल्टा प्रभाव डाल सकते हैं, लेकिन कुछ आसान आदतों को दिनचर्या में शुमार कर एक हेल्दी लाइफ जी जा सकती हैं।
उड़ न जाए नींद
50 साल से अधिक उम्र की ज्यादातर महिलाएं नींद से जुड़ी परेशानी या इन्सोम्निया की शिकायत करती हैं। इसका कारण प्रीमेनोपॉज और मेनोपॉज की वजह से होने वाले हॉर्मोनल बदलाव हो सकते हैं। तेज गर्मी लगना और रात में पसीना आना इसके कुछ लक्षण हैं और इस वजह से नींद आने में परेशानी आ सकती है। एक्सपर्ट सोने से पहले अल्होकल युक्त ड्रिंक ना लेने की सलाह देते हैं।
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प्रोटीन से भरपूर हो स्नैक
पचास की उम्र के बाद हॉर्मोन्स में होने वाले बदलावों की वजह से महिलाओं का मसल मास तेजी से घटने लगता है। मेनोपॉज़ के दौरान एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर कम होने से हड्डियों की डेंसिटी और मांसपेशियों की ताकत भी कम होने लगती है, ऐसे में सोने से पहले प्रोटीन से भरपूर स्नैक लेने की सलाह दी जाती है। आप चाहें तो पनीर ले सकती हैं या प्लांट बेस्ड प्रोटीन स्मूदी बनाकर पी सकती हैं। इसके साथ ही मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने वाली एक्सराइज करने से और भी फायदा होगा।
ब्रश करना न भूलें
वैसे तो सोने से पहले हर किसी को ब्रश जरूर करना चाहिए लेकिन इस उम्र की महिलाओं के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है। इस उम्र में ड्राय माउथ, दांतों में सड़न, मसूड़ों की बीमारियां और ओरल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इससे सिर्फ ओरल हेल्थ ही नहीं आपकी पूरी सेहत पर असर पड़ सकता है। यदि आपके दांत इस उम्र में भी स्वस्थ बने रहेंगे तो आप खाने से ज्यादा बेहतर तरीके से भरपूर पोषण ले पाएंगी।
पानी का ग्लास रखें पास
इस उम्र में रात के समय पसीना आने की परेशानी बढ़ती है और डिहाइड्रेशन हो सकता है। ऐसे में पानी का ग्लास साइड टेबल पर रखा होने से आप आसानी से बॉडी को हाइड्रेट कर सकती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार यदि ज्यादा गला सूखने से पहले ही ठंडा पानी पी लिया जाए तो हॉट फ्लैशेज का खतरा कम हो जाता है।
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गहरी सांस लेने की कोशिश करें
दिमाग और बॉडी को शांत रखने के लिए पेट से ली जाने वाली गहरी सांस बहुत कारगर होती है। गहरी सांस लेने की इस प्रक्रिया से आपका नर्वस सिस्टम शांत होता है और अच्छी नींद आती है। डीप ब्रीदिंग की प्रैक्टिस ह्दय रोगों के जोखिम को कम करती है, ब्लड प्रेशर में सुधार कर स्ट्रेस के स्तर को भी कम करती है। सोने से पहले इसका अभ्यास करने से स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल का स्तर घटता है। इस फैक्ट को प्रमाणित करने के लिए अभी भी रिसर्च जारी है।
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