अनंत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है क्या है इसकी पावन कथा,जानें

अनंत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है क्या है इसकी पावन कथा,जानें

इस साल अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व 6 सितंबर 2025, शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के अनंत रूप की विधि विधान पूजा करते हैं। इस दिन अनंत सूत्र बांधकर ईश्वर से सुख-समृद्धि और रक्षा की कामना की जाती है। ये पर्व इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। ये 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का आखिरी दिन भी होता है। कहते हैं अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से मनुष्य को पुनर्जन्म के पापों तक से छुटकारा मिल जाता है। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन इस पावन कथा को जरूर पढ़ना चाहिए। 

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा 

अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में सुमंत नामक एक ब्राह्मण थे जिनकी पत्नी का नाम दीक्षा था और उसकी एक परम सुंदरी धर्मपरायण कन्या थी। जिसका नाम सुशीला था। सुशीला जब बड़ी हुई तो उसकी माता दीक्षा की मृत्यु हो गई। जिसके बाद सुमंत ने कर्कशा नामक स्त्री से दूसरा विवाह कर लिया। ब्राह्मण सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि के साथ कर दिया। विदाई में कर्कशा ने दामाद को कुछ ईंटें और पत्थरों के टुकड़े बांध कर दे दिए। 

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

कौंडिन्य ऋषि दुखी हो अपनी पत्नी को लेकर अपने आश्रम की ओर चल दिए। परंतु उन्हें रास्ते में ही रात हो गई जिस कारण वे नदी तट पर संध्या करने लगे। सुशीला ने देखा: वहां पर बहुत-सी स्त्रियां सुंदर वस्त्र पहनकर किसी देवता की पूजा पर रही थीं। सुशीला ने जब उन स्त्रियों से पूछा तो उन्हें अनंत चतुर्दशी की महत्ता के बारे में पता चला। सुशीला ने भी वहीं उस व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांध कर ऋषि कौंडिन्य के पास आ गई।

कौंडिन्य ऋषि ने सुशीला से डोरे के बारे में पूछा तो उसने सारी बात बता दी। कौंडिन्य यह सुनकर क्रोधित हो गए और कहने लगे कि, “यह सब तो अंधविश्वास है! किसी धागे से क्या हो सकता है?” और उन्होंने सुशीला के हाथ से वह अनंत सूत्र जबरन उतारकर उसे आग में जला दिया। इससे भगवान अनंत जी का अपमान हुआ। परिणामत: ऋषि कौंडिन्य दुःखी रहने लगे और उनकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई। तब उनकी पत्नी सुशीला ने कहा ये सब अनंत डोरे का अपमान करने के कारण हुआ है।

ये भी पढ़े : अनंत चतुर्दशी पर कैसा रहेगा सभी राशियों की लव लाइफ,पढ़े प्रेम राशिफल

पश्चाताप करते हुए ऋषि कौंडिन्य अनंत डोरे की प्राप्ति के लिए वन भटकने लगे लेकिन जब उन्हें वो डोरा नहीं मिला तो वे निराश होकर एक दिन भूमि पर गिर पड़े। तब अनंत भगवान प्रकट होकर बोले: हे कौंडिन्य! तुमने मेरा तिरस्कार किया था, इसी कारण तुम्हें इतना कष्ट भोगना पड़ा। तुम दुःखी हुए, अब तुमने पश्चाताप किया है। मैं तुमसे प्रसन्न हूं। अब तुम विधिपूर्वक अनंत व्रत करो। चौदह वर्षपर्यंत व्रत करने से तुम्हारा दुःख दूर हो जाएगा और तुम धन-धान्य से संपन्न हो जाओगे। कौंडिन्य ने भगवान के कहे अनुसार ये व्रत किया और उन्हें उनके सारे दुखों से मुक्ति मिल गई। कहते हैं तभी से अनंत चतुर्दशी व्रत की परंपरा चली आ रही है।









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments