मिश्रित खेती से किसान कमा रहे हैं मोटी कमाई,एक साथ उगा रहें कई फसलें

मिश्रित खेती से किसान कमा रहे हैं मोटी कमाई,एक साथ उगा रहें कई फसलें

फर्रुखाबाद के किसान अब पहले की तुलना में काफी जागरूक हो गए है और खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते है. अब किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ नगदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे है, जिससे उनकी कमाई के रास्ते भी खुल गए है. इस समय यहां के किसान मिश्रित खेती के जरिए मोटी कमाई कर रहे हैं, जिससे उन्हें कम लागत में अच्छा फायदा हो रहा है. प्रति बीघा सिर्फ 5000 रुपए की लागत आती है. मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते है कि वे कई दशकों से इस प्रकार की खेती करते आ रहे है और इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं हुआ, बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है

कमालगंज के मिर्जा नगला गांव के निवासी किसान रामनाथ बताते है कि वे बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे है, जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. उनका कहना है कि इस खेती से उन्हें कभी नुकसान नहीं हुआ, बल्कि सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति से भी अधिक मुनाफा मिलता है. आमतौर पर प्रति बीघा 4000 से 5000 रुपए की लागत आती है. एक बार फसल तैयार होने के बाद पहले सब्जियों की बिक्री करते है और इसके बाद निकलने वाली अन्य फसलों की भी अच्छी बिक्री होती है.

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

हरी सब्जियों की बाजार में डिमांड
 किसान ने बताया कि वे दस वर्षों से लगातार खेती कर रहे है. उनके पास खेती के लिए थोड़ी ही भूमि है, लेकिन वे उसी भूमि में मिश्रित खेती करते है, जिससे उन्हें प्रति बीघा 500 रुपए की लागत में 50000 से 60000 रुपए का मुनाफा होता है. मूली की फसल उगाने में लगभग 2000 रुपए की लागत आती है, लेकिन एक बार जब खेत से फसल निकलना शुरू होती है तो मंडी में उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे समय में उनकी बैंगन मंडी में हाथों-हाथ बिक जाती है.

मिश्रित खेती का तरीका
किसान अपने खेतों में सबसे पहले मूली के पौधों की रोपाई करते है. इसके बाद उसमें शलजम और चुकंदर के बीज बो देते है. इसके ऊपर धनिया की बुवाई करते है. जब मूली की फसल तैयार होती है, तो नीचे से अन्य फसले भी तैयार होने लगती है. इस प्रकार एक समय में पांच फसलों से हजारों रुपए की कमाई होती है.

ये भी पढ़े : कच्चापाल जलप्रपात बनेगा पर्यटन का नया केंद्र: वन मंत्री केदार कश्यप

क्या है खेती का तरीका
किसान बताते हैं कि वे सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके क्यारियां बनाते है और पहले से तैयार की गई मूली के पौधों को प्रति मीटर पर दो पौधों को रोपते है. समय से सिंचाई करते है. जब पौधे बड़े होने लगते है, तो मूली निकलने लगती है, जिसे मंडी में बेच देते है. जब पूरी फसल निकल जाती है, तो पौधों को खेत में ही हरी खाद के रूप में प्रयोग कर लेते है.







You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments