कम लागत और कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा चाहते हैं तो करें इसकी खेती

कम लागत और कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा चाहते हैं तो करें इसकी खेती

अगर आप किसान है और अपनी पारंपरिक खेती से मिलने वाले मुनाफे से संतुष्ट नहीं हैं? और आप एक ऐसी फसल की तलाश में हैं, जो कम मेहनत, कम लागत और कम समय में आपको मालामाल कर दे? तो आज हम आपको एक ऐसी जादुई फसल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम है "कुल्थी" (Horse Gram).असल में कुल्थी केवल 30 से 40 दिनों में आपकी जेब भर सकती है और सालभर आपको शानदार मुनाफा दे सकती है.

कुल्थी क्यों है इतनी खास?

आपको बता दें कि कुल्थी, जिसे कहीं-कहीं 'हूलगे' या 'कुलथी दाल' भी कहते हैं, एक चमत्कारी फसल मानी जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत तेजी से बढ़ती है और बहुत कम पानी में भी अच्छी पैदावार दे सकती है.ये उन इलाकों के लिए तो वरदान होती है, जहां पानी की कमी रहती है.

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तो 30 दिन में मुनाफा कैसे?

कम टाइमिंग की फसल: कुल्थी की कुछ किस्में मात्र 60-75 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैंय लेकिन, अगर आप इसे हरी खाद के रूप में या शुरुआती फलियों के लिए लगाते हैं, तो इसकी बुवाई के 30-40 दिनों के भीतर ही आप इसकी पहली कटाई या तुड़ाई कर सकते हैं.
पशु चारे के रूप में: कुल्थी का हरा चारा पशुओं के लिए बेहद पौष्टिक होता है। अगर आपके पास पशुधन है, तो बुवाई के 30-45 दिन बाद आप इसकी कटाई करके पशुओं को खिला सकते हैं.

कुल्थी की खेती कैसे करें? 

वैसे कुल्थी की खेती आसान है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान जरूरी है. यह बलुई दोमट से लेकर हल्की काली मिट्टी तक में उग जाती है और गर्म, शुष्क मौसम में भी पनपती है. खरीफ (जून-जुलाई) और रबी (सितंबर-अक्टूबर) इसका प्रमुख मौसम होता है. खेत की तैयारी के लिए एक गहरी और दो हल्की जुताई करें, फिर समतल करना चाहिए. बुवाई के लिए 25-35 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त है और पंक्तियों की दूरी 30 सेमी और पौधों की दूरी 10 सेमी रखें.वैसे कुल्थी को कम पानी चाहिए और यह कीट-रोग प्रतिरोधी भी मानी जाती है.

कुल्थी की खेती से कितना मुनाफा?

कुल्थी सिर्फ सस्ती और आसान फसल ही नहीं है, बल्कि किसानों को कई तरीकों से अच्छा मुनाफा भी देती है,तो आइए समझते हैं कैसे

दाल और बीज उत्पादन 

पैदावार: प्रति एकड़ 5–8 क्विंटल (500–800 किलो) सूखी कुल्थी

मार्केट रेट: 40–70 रुपये प्रति किलो (स्थान व मांग पर निर्भर)

औसत आय: 600 किलो × 50 रु./किलो = ₹30,000 प्रति एकड़
लागत: लगभग ₹8,000–12,000
मुनाफा: करीब ₹20,000 प्रति एकड़
साल में दो फसलें लेने पर = ₹40,000 प्रति एकड़ सालाना

हरी खाद और अगली फसल का फायदा

कुल्थी मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाती हैय
अगली फसल (गेहूं, धान, मक्का) में 15–20% तक पैदावार .
मान लें, अगली फसल से आय ₹50,000 थी, तो अतिरिक्त फायदा = **₹7,500.
साथ ही, रासायनिक खाद पर खर्च कम होकर हजारों की बचत.

पशु चारे के रूप में इनकम

एक एकड़ से 200–300 क्विंटल हरा चारा.चाहें तो अतिरिक्त चारा बेचकर तुरंत नकदी भी पा सकते हैं।

करोड़पति किसान बनने का सालभर का प्लान

5 एकड़ खेत में कुल्थी की दो फसलें की जा सकती हैं
(5 एकड़ × ₹40,000 प्रति एकड़) = ₹2,00,000

हरी खाद से फायदा व खाद की बचत

(5 एकड़ × ₹7,500 प्रति एकड़) = ₹37,500

पशुपालन से एक्स्ट्रा कमाई = ₹20,000

कुल अनुमानित सालाना इनकम = ₹2,57,500 (केवल 5 एकड़ से)

साफ है कि कुल्थी की खेती केवल एक फसल नहीं, बल्कि आपके परिवार की फाइनेंशियल स्थिति को मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर है. कम लागत, कम समय और शानदार मुनाफे के साथ-साथ यह आपकी जमीन को भी उपजाऊ बनाती है.(नोट: खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है, इसका कमाई का कैलकुलेशन कम ज्यादा हो सकता है)








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