गरियाबंद :- छत्तीसगढ़ प्रदेश एन एच एम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अमित मिरि, महासचिव कौशलेश तिवारी, कार्यकारी अध्यक्ष श्याममोहन दुबे, संगठन प्रमुख और कोषाध्यक्ष डॉ रविशंकर दीक्षित के मार्गदर्शन और अमृत राव भोंसले, कार्यकारी अध्यक्ष लम्बोदर महतो, शेखर धुर्वे गरियाबंद जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में
दिनांक 10-09-2025 को एनएचएम के द्वारा किए जा रहे अनिश्चित कालीन आंदोलन के 24 वें दिन भाजपा जिलाध्यक्ष कार्यालय जाकर सवाल रैली किया और शासन प्रशासन से अब तक किये संवाद, पत्र आदि से अवगत कराया. जिलाध्यक्ष अनिल चंद्राकर के अनुपस्थिति में जिला महामंत्री आशीष शर्मा को 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि, नियमितीकरण, ग्रेड पे आदि के डॉक्यूमेंट का पुलिंदा सौंपा जिसमें पूरी बताया गया कि लगभग सभी मांगों के लिए तैयारी हैं और कई महीनों से इस पर काम हो रहा पर स्पष्ट आदेश और उसको लागु नहीं किये जाने से कर्मचारियों का बहुत नुकसान हो रहा.
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सौरभ बरमानी ब्लॉक संरक्षक राजिम और पुष्पा कुर्रे ब्लॉक अध्यक्ष मैनपुर, ने कहा कि लगातार 22 सालों से कार्य करते हुए एनएचएम कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे है। इतना तो मध्यप्रदेश सरकार के कार्यरत रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को तकलीफ नहीं हुई जितना छत्तीसगढ़ के बनने के बाद हो रही है। राज्य वन विभाग,हो या राज्य के अन्य विभाग जहां पर भी दैनिक वेतन भोगी हो या संविदा कर्मी सभी के संबंध में पूर्व में भी उचित निर्णय लिए गए। इसी तरह एनएचएम के कर्मियों के बारे में भी सरकार कुछ न कुछ उचित कदम उठा ही सकती है। प्रांतीय प्रतिनिधि भूपेश साहू और भूपेंद्र सिन्हा सरकार को वादा याद दिलाया साथ ही कहा कि छत्तीसगढ़ को बनाये पर इसको सवारने वालों और उनके परिवार का जीवन स्तर नहीं सुधर रहा.
गरियाबंद ब्लॉक अध्यक्ष धीरज शर्मा ने बताया कि यह एक बहुत ही दमनकारी नीति है इस नीति के कारण कोई भी एनएचएम कर्मचारी या अन्य विभाग का संविदा कर्मचारी भी भविष्य में बड़े या उच्च पदों पर नौकरी नहीं प्राप्त के सकते है। बढ़ती उम्र के साथ घर की जिम्मेदारियां भी बढ़ रही है, बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए अधिक पैसे की आवश्यकता,बच्चों के विवाह के लिए लोन,घर बनाने के लिए लोन एन सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एनएचएम कर्मी नियमितिकरण,संतोषप्रद वेतनमान, नौकरी की गारंटी एवं अन्य मांगों को लेकर संघर्षरत है। जिला उपाध्यक्ष दीपेश टांडी और सचिव कमलेश्वर ढीढी ने कहा कि बैंक से पर्सनल लोन तक भी इस कर्मियों नहीं मिलते। आज 22 सालों से कार्यरत कर्मियों के ग्रेड पे निर्धारण का पता नहीं है । छत्तीसगढ़ राज्य बने आज 25 साल हो चुके है। छत्तीसगढ़ महतारी के इन संतानों का हक यहां की सरकारों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया है।
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यह बहुत दुखद है कि विगत 25 सालों से सरकार आती रही जाती रही पर कोई भी यथोचित कदम नहीं उठाया गया। जोकि बहुत निराशाजनक है। अन्य राज्यों की तुलना कर जहां एमएचएम कमियों के समर्थन में फैसला लिया गया था वहां के नीति निर्धारण करने हेतु राज्य को कई बार पत्र ज्ञापन दिया गया। पर उसका निरीक्षण कर संबंधित समिति और अधिकारियों ने आज शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया। कई दौर की राज्य के अधिकारियों से चर्चा के उपरांत भी उनके अड़ियल रवैए और असंवेदशीलता के कारण आज 22 सालों से कर्मचारी उनका खामियाजा भुगत रहे है। इस बार एनएचएम के कर्मचारी आर या पार के मूड में है जो इस बार समुचित निराकरण के बाद ही हड़ताल से लौटेंगे।
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