प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती को समर्पित माना जाता है। शिव पुराण में उल्लेखित है कि प्रदोष व्रत करने वाले साधकों का समस्त पाप नष्ट हो जाता है। इस व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है।
ज्योतिष कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त करने के लिए त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने की सलाह देते हैं। इस शुभ अवसर पर जलाभिषेक करने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। आइए, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत - 18 सितंबर को देर रात 11 बजकर 24 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि की समापन - 19 सितंबर को देर रात 11 बजकर 36 मिनट पर
प्रदोष व्रत
सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। हालांकि, प्रदोष व्रत के लिए संध्या बेला (प्रदोष काल) का मुहूर्त देखा जाता है। इसके लिए त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस प्रकार गणना से 19 सितंबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
शुक्र प्रदोष व्रत शुभ योग
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सिद्ध और साध्य संयोग बन रहा है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत पर अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की मनचाही मुराद पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
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