रायगढ़ : वर्ष 24-25 में धान खरीदी से सरकार पहले ही अरबों के नुकसान में थी। अब संग्रहण केंद्रों में भी करोड़ों का धान गायब है। खरसिया और लोहरसिंग केंद्रों में करीब साढ़े नौ करोड़ का धान सूखत के नाम पर गबन कर लिया गया। यह तब हुआ जब मार्कफेड ने प्रति बोरा 37 किलो मान्य किया। यह भी बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।
समितियों में ही खरीदे गए धान का निराकरण करने में नाकाम रहा प्रशासन संग्रहण केंद्रों में भी हालात संभाल नहीं पाया। मार्कफेड ने धान का सुरक्षित रखने के लिए लाखों रुपए हमाली, परिवहन भाड़ा देकर धान की ढुलाई करवाई थी। 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया धान जब संग्रहण केंद्रों में लाया गया तो समिति स्तर से एक किलो भी सूखत मान्य नहीं किया गया। कागजों में धान की भरपाई प्रबंधकों से करवाई गई। कहा गया कि समितियों से एक-एक दाना धान उठवाया गया। चंद महीने में ही यह सूखत 30 हजार क्विंटल से अधिक हो गया है।
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खरसिया में 1,59,186 क्विं. और लोहरसिंग में 7,71,245 क्विं. धान भंडारित करवाया गया। नीलामी करने के बाद राज्य को एफसीअई से आवंटन मिला तो डीओ काटे गए। उठाव तकरीबन पूरा हो चुका है। खरसिया संग्रहण केंद्र में 5324 क्विं. धान की कमी पाई गई है। मतलब इतना धान गायब हो गया। इसी तरह लोहरसिंग केंद्र में अभी तक 25,227 क्विं. का शॉर्टेज आ चुका है। दोनों केंद्रों में शॉर्टेज हुए धान की कीमत करीब 9.50 करोड़ हो रही है। यह आकलन 3100 रुपए की दर से है जबकि इसमें हमाली, परिवहन भाड़ा, रखरखाव आदि जोडऩे पर दस करोड़ से अधिक का नुकसान है। खरसिया में सूखत 3.35 प्रश और लोहरसिंग में 3.26 प्रश है।
कहां हुई गड़बड़ी
समितियों से धान लेते समय और परिदान के समय ही गड़बड़ी गई। प्रबंधकों से सूखत वसूली के समय ही अनियमितता की बात सामने आई थी। उसको बराबर करने के लिए बोरों में वजन कम होने की रिपोर्ट दी गई। जिले से प्रति बोरे 37 किलो वजन को मान्य करने मार्कफेड से मांग की गई। सुनियोजित तरीके से गड़बड़ी को ढंकने का प्रयास किया गया। इसके बावजूद साढ़े 9 करोड़ का धान गायब हो गया। यह इतना बड़ा मामला है जिसमें जांच हुई तो कई तथ्य सामने आएंगे।
केंद्र प्राप्त धान प्रदाय मात्रा बचत कीमत
खरसिया 1,59,186 1,53,862 5324 क्विं. 1.65 करोड़
लोहरसिंग 7,71,245 7,46,018 25,227 क्विं. 7.82 करोड़
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