सितंबर पालक की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है. इस दौरान मिट्टी में नमी और तापमान दोनों फसल के लिए अनुकूल रहते हैं. किसान मिट्टी को भुरभुरा बनाकर उसमें अच्छी खाद मिलाकर बीज बो सकते हैं. सही तरीके से देखभाल करने पर 20-25 दिनों में ताज़ी और हरी-भरी पालक की फसल तैयार हो जाती है, जिससे अच्छा मुनाफा भी मिलता है.
सितंबर का महीना पालक की फसल की बुवाई के लिए बेहद ही उपयुक्त होता है. तापमान में हल्की ठंडक होने की वजह से पालक की फसल तेजी के साथ ग्रोथ करती है. खास बात यह है कि पालक कम दिनों में किसानों को अच्छा उत्पादन देती है, किसान उन्नत किस्म की बुवाई कर मुनाफा और ज्यादा बढ़ा सकते हैं.
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पालक की ‘आल ग्रीन’ किस्म एक लोकप्रिय और विश्वसनीय किस्म है, जो अपनी बेहतर पैदावार और प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है. यह किस्म 20 से 25 दिन में तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि 120 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है, और किसान 6 से 7 कटिंग आसानी से ले सकते हैं.
‘अर्का अनुपमा’ पालक की एक उच्च उपज वाली संकर (हाइब्रिड) किस्म है, जिसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बैंगलोर ने विकसित किया है. यह किस्म किसानों को 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है. सही देखभाल करने पर 10 से 12 कटिंग आसानी से ले सकते हैं.
‘जोबनेर ग्रीन’ पालक की एक उन्नत किस्म है, जिसे राजस्थान के शुष्क जलवायु क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है. यह किस्म अपनी विशेष अनुकूलन क्षमता और अच्छी पैदावार के लिए जानी जाती है. यह किस्म 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है.
‘पूसा भारती’ पालक की एक उन्नत किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है. यह किस्म अपनी उच्च गुणवत्ता और बेहतर उत्पादन के लिए जानी जाती है. यह किस्म किसानों को 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है, लेकिन तैयार होने में करीब 30 से 40 दिन लेती है.
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‘पूसा हरित’ पालक की एक और लोकप्रिय और विश्वसनीय किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है. यह किस्म अपनी तेजी से बढ़ने की क्षमता और अधिक पैदावार के लिए जानी जाती है. यह किस्म उच्च उत्पादन देने के लिए किसानों की पहली पसंद है. किसान एक हेक्टेयर से 500 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
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