धान की बुवाई को 65-70 दिन बीत चुके हैं और अब फसल में बाली निकलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.यह समय फसल के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी चरण में पौधों को अतिरिक्त पोषण और पानी की सही मात्रा की जरूरत होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि किसान यदि इस दौरान संतुलित खाद और सिंचाई का ध्यान रखें, तो उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती, लेकिन कई जगहों पर धान की फसल में बाली निकलते ही कई रोग चपेट में ले रहे हैं. हालांकि किसान रोगों पर नियंत्रण के लिए महंगे रासायनिक उपाय करते हैं. लेकिन अगर किसान सस्ता जैविक उपाय कर लें तो लागत कम आएगी किसानों को अच्छा मुनाफा मिलेगा.
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कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल में अब बाली निकल रही है. बाली निकलने के बाद कई कीट हमला करते हैं, क्योंकि तापमान में आ रहे उतार चढ़ाव की वजह से बाली को नुकसान पहुंच रहा है. कई जगहों पर धान की फसल पुष्पावस्था में है तो कहीं बाली में दाने बनाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में अगर कोई कीट फसल को चपेट में लेता है तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. उत्पादन में भी गिरावट आएगी. ऐसे में किसान जैविक तरीके से कीट नियंत्रण कर सकते हैं. जैविक तरीके से कीट नियंत्रण करने से गुणवत्ता बेहतर होगी.
ऐसे तैयार करें चमत्कारी घोल
किसान कीटों का नियंत्रण करने के लिए घर पर ही जैविक उत्पाद तैयार कर सकते हैं. जिसके लिए किसानों को 50 लीटर पानी लेकर उसमें 5 से 6 लीटर देशी गाय का गोमूत्र, 2 किलो नीम की पत्ती, 500 ग्राम लहसुन और 1 किलो हरी मिर्च या 250 ग्राम लाल मिर्च लेकर उसको अच्छी तरह से कुचलकर पानी में मिला दें. इस घोल को 5 से 6 दिनों तक सड़ने दें. उसके बाद अच्छी तरह से हिला कर छान लें और यह जैविक उत्पाद बनाकर तैयार हो जाता है.
इस विधि से करें छिड़काव
किसान फसल में छिड़काव करने के लिए 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल पर छिड़काव कर सकते हैं. इस घोल का छिड़काव करने से सभी तरह के कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है. और अगर फिर भी कीट दोबारा से प्रभावी दिखें तो 10 से 12 दिन के बाद इसी घोल को फसल में फिर से छिड़काव किया जा सकता है.



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