अगर आप एक किसान है और फूल गोभी की नर्सरी तैयार करना चाहते हैं. तो हम आपको बताएंगे कि कैसे आप एक हेल्दी नर्सरी तैयार कर सकते हैं. आइए जानते हैं गोंडा के किसान लल्लू प्रसाद मौर्य ने गोभी की नर्सरी तैयार करने का क्या आसान और असरदार तरीका बताया है.
किसान अगर मुनाफा कमाना चाहे तो फूलगोभी की खेती से भी अच्छी कमाई की जा सकती है, लेकिन इसकी नर्सरी तैयार करना कई किसानों के लिए चुनौती बन जाता है. अक्सर नर्सरी में पौधे सूख जाते हैं या ठीक से बढ़ नहीं पाते. इस खबर ने हम जानेंगे कि किन तरीकों का उपयोग कर आप एक हेल्दी नर्सरी तैयार कर सकते हैं. गोंडा जिले के प्रगतिशील किसान लल्लू प्रसाद मौर्य ने अपने अनुभव से ऐसा आसान तरीका निकाला है जिससे फूलगोभी की नर्सरी हरी-भरी रहती है और पौधे मजबूत बनते हैं.
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नर्सरी के लिए खेती की जुताई है जरूरी
लल्लू प्रसाद ने बताया कि नर्सरी बनाने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए. मिट्टी को भुरभुरी और नरम बनाना बहुत जरूरी है ताकि पौधे आसानी से जड़ पकड़ सकें. नर्सरी की मिट्टी में गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाना चाहिए. इससे मिट्टी उपजाऊ बनती है और पौधे जल्दी बढ़ते हैं. बीज बोने से पहले उन्हें 10 से 12 घंटे तक पानी में भिगो लेना चाहिए. ऐसा करने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधे स्वस्थ निकलते हैं.
नर्सरी के लिए खाद का महत्व
लल्लू प्रसाद बताते हैं कि नर्सरी की मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कम्पोस्ट जरूर मिलानी चाहिए. इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और पौधों को पर्याप्त पोषण मिलता है. जैविक खाद का फायदा यह भी है कि इससे पौधे लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं और उनमें रोग लगने की संभावना कम हो जाती है.
बीज तैयार करना
किसान लल्लू प्रसाद का कहना है कि फूलगोभी के बीजों को सीधे बोने की बजाय पहले 10 से 12 घंटे तक पानी में भिगो देना चाहिए. ऐसा करने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधे मजबूत निकलते हैं. कई बार किसान बिना भिगोए बीज बो देते हैं, जिससे अंकुरण में देरी हो जाती है या पौधे कमजोर निकलते हैं.
नमी का खास ध्यान
नर्सरी में पौधे सूखने की सबसे बड़ी वजह पानी की कमी होती है. इसलिए नर्सरी की क्यारियों में हमेशा हल्की नमी बनी रहनी चाहिए. बहुत ज्यादा पानी देने से भी नुकसान होता है क्योंकि इससे पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं.
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नर्सरी में रोग और कीट नियंत्रण
फूलगोभी की नर्सरी में छोटे पौधों पर फफूंद और कीट का हमला जल्दी हो जाता है. इसलिए खेत में बीज बोने से पहले मिट्टी को रोगमुक्त करना जरूरी है. लल्लू प्रसाद जैविक तरीके अपनाते हुए नर्सरी की मिट्टी में नीम की खली या राख मिलाते हैं. इससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और फफूंद खत्म हो जाते हैं और पौधे स्वस्थ बने रहते हैं.
लल्लू प्रसाद के इस तरीके से तैयार की गई नर्सरी के पौधे न केवल हरे-भरे रहते हैं बल्कि उनकी जड़ें भी मजबूत होती हैं. ऐसे पौधे जब खेत में लगाए जाते हैं तो उनकी पैदावार भी अच्छी मिलती है और किसान अच्छी उपज के साथ लाभ कमा सकते हैं.



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