पलामू: जिले के किसान अब परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के प्रियरंजन कुमार पिछले दस वर्षों से परंपरागत सफेद धान की जगह आधुनिक पद्धति से काला धान की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि सफेद धान की खेती में उन्हें अपेक्षित मुनाफा नहीं मिलता था, जबकि काला धान की खेती से उन्हें लागत से कहीं अधिक लाभ हो रहा है.
इस वर्ष उन्होंने लगभग पांच एकड़ खेत में काला धान की बुवाई की है. इसके साथ उन्होंने जिले के एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) से जुड़े किसानों को इसका बीज दिए है. जिससे जिले भर में लगभग 30 एकड़ में इस धान की खेती की जा रही है. प्रियरंजन सिंह ने लोकल18 को बताया कि काला धान का उत्पादन बाजार में भारी मांग और ऊंची कीमत के कारण किसानों को आकर्षित कर रहा है. यही वजह है कि वे पिछले कई वर्षों से इस धान की खेती कर रहे हैं और इसका चावल देश के विभिन्न राज्यों में भेज रहे हैं.
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कमा रहे दोगुना मुनाफा
काला धान उन्नतशील किस्म का धान है, जिसकी अवधि 140 से 150 दिनों की होती है. एक एकड़ में औसतन 8 से 9 क्विंटल धान तैयार होता है, जिससे लगभग 6 से 6.5 क्विंटल चावल निकलता है. यह चावल सामान्य धान की तुलना में बाजार में कई गुना अधिक दाम पर बिकता है. इस चावल को शुगर के मरीज भी खा सकते है. क्योंकि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स की मात्रा 49% से कम होता है. किसान बताते हैं कि बाजार में इसकी भारी डिमांड है, जिस कारण उन्हें उत्पादन के तुरंत बाद ही खरीदार मिल जाते हैं.
जैविक विधि से करते है खेती
इस खेती की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह जैविक विधि से की जाती है. प्रियरंजन अपने खेतों में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते, बल्कि गाय के गोबर और जीवामृत से तैयार खाद का प्रयोग करते हैं. एक एकड़ खेत में लगभग 30 से 35 हजार रुपये का खर्च आता है, जबकि इसके मुकाबले दोगुना मुनाफा प्राप्त होता है. इस धान के चावल बाजार में 100 रुपए प्रति किलो के दर से बिकता है. जिसे वो ऑनलाइन मार्केट में भी बेचते है.
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सेहत के लिए फायदेमंद
उन्होंने कहा कि काला धान न केवल मुनाफे की दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यही कारण है कि शहरी क्षेत्रों और बड़े बाजारों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.
पलामू जिले में अब अधिकतर किसान प्रियरंजन कुमार जैसे प्रगतिशील किसानों से प्रेरणा लेकर काला धान की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि यदि किसान इस प्रकार की उन्नतशील और जैविक खेती को अपनाएं तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सपना भी जल्द साकार होगा.
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