दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ पावर कारपोरेशन लिमिटेड (CSPDCL) द्वारा दंतेवाड़ा जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर के कारण बिजली बिलों में अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर आम जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है। उपभोक्ताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनका मासिक बिजली बिल दो से चार गुना तक बढ़ गया है, जिससे उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
बढ़ते बिलों की मुख्य शिकायतें
अचानक वृद्धि: कई उपभोक्ताओं, खासकर निम्न आय वर्ग के परिवारों ने शिकायत की है कि उनका सामान्य बिल, जो पहले ₹200 से ₹500 के बीच आता था, अब बढ़कर ₹1500 से ₹3000 या उससे भी अधिक हो गया है।तकनीकी खराबी का संदेह: स्थानीय लोगों का मानना है कि स्मार्ट मीटर सामान्य खपत से अधिक रीडिंग दिखा रहे हैं। या उनमें कोई तकनीकी गड़बड़ी है। लोगों का कहना है कि खपत में कोई वृद्धि नहीं हुई है, फिर भी बिल में भारी उछाल आया है।
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प्रीपेड मोड का डर: यह भी आशंका है कि इन मीटरों को जल्द ही प्रीपेड मोड में बदल दिया जाएगा, जिससे गरीब परिवारों के लिए बिजली की उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन जाएगी।स्थानीय निवासियों ने इस संबंध में बिजली विभाग के कार्यालयों में कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन अधिकारियों द्वारा केवल खपत अधिक होने का हवाला देकर उनकी समस्याओं का ठोस समाधान नहीं किया जा रहा है।
सरकार ने महतारी वंदन योजना में ?1000 देने का वादा किया था, लेकिन वही पैसा अब बिजली बिल में कट रहा है।
मामले को लेकर कांग्रेस मिडिया प्रभारी ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। मनीष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार महतारी वंदन योजना के नाम पर जो आर्थिक सहायता दे रही है, उसे बिजली बिल के माध्यम से वसूल रही है। मनीष का कहना है कि यह गरीबों की जेब पर सीधा हमला है और सरकार उन्हें राहत देने के बजाय संकट में धकेल रही है।
कांग्रेस पार्टी ने एक स्वर में मांग की है कि
1.स्मार्ट मीटरों की निष्पक्ष तकनीकी जांच विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा कराई जाए।
2.जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता, तब तक बढ़े हुए बिलों की वसूली पर तत्काल रोक लगाई जाए और पुराने औसत बिल के आधार पर भुगतान स्वीकार किया जाए।
3.दोषपूर्ण पाए गए स्मार्ट मीटरों को हटाकर पुराने मीटर फिर से लगाए जाएं।
यदि बिजली विभाग और जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या पर तुरंत ध्यान नहीं देता है और बिलों में सुधार नहीं किया जाता है, तो कांग्रेस पार्टी और उपभोक्ता संगठित होकर उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।



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