सिंगर जुबिन गर्ग की अंतिम यात्रा में उमड़ा लोगों का हुजूम, लोगों ने नम आंखों से दी विदाई

सिंगर जुबिन गर्ग की अंतिम यात्रा में उमड़ा लोगों का हुजूम, लोगों ने नम आंखों से दी विदाई

सिंगर जुबिन गर्ग का बीते 19 सितंबर को निधन हो गया था। अब रविवार को उनका शव असम के गुवाहाटी पहुंचा और यहां से अंतिम यात्रा निकाली गई। इस अंतिम यात्रा में जुबिन के फैन्स का हुजूम उमड़ा और सिंगर को नम आंखों से विदाई दी। गुवाहाटी से इसका एक वीडियो सामने आया है जहां देखने को मिल रहा है कि फैन्स का बड़ा हुजूम अंतिम यात्रा में शामिल हुआ है। यहां सुरक्षाबलों के बीच जुबिन के शव को अंतिम संस्कार के लिए अर्जुन भोगेश्वर बरुआह स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स ले जाया जा रहा है। यहां लोगों को अंतिम दर्शन का मौका मिलेगा। इसके बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा। 

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स्कूवा डायविंग के दौरान गई थी जान

बॉलीवुड सिंगर जुबिन गर्ग की मौत ने संगीत जगत समेत उनके फैन्स की आंखें नम कर दीं। बॉलीवुड में कई सुपरहिट गानों में अपनी सुरीली आवाज का जादू फूंक चुके जुबिन गर्ग सिंगापुर में चौथे नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल में हिस्सा लेने पहुंचे थे। यहां बीते रोज 19 सितंबर को समुद्र किनारे स्कूवा डाइविंग करते हुए एक हादसे में काल के गाल में समा गए। साल 1998 में रिलीज हुई फिल्म 'दिल से' आज भी अपनी दमदार कहानी और शानदार संगीत के लिए पहचानी जाती है। इस फिल्म के संगीत में जुबिन ने काफी योदगान दिया था। इसके साथ ही सैकड़ों सुपरहिट गानों को अपनी आवाज दे चुके हैं। आईएमडीबी के मुताबिक अब तक जुबिन ने 222 फिल्मों में अपने संगीत और सुरों की चमक बिखेरी है। 

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बहन ने भी गंवाई थी हादसे में जान

जुबिन की बहन जोंगकी गर्ग करीब 23 साल पहले जनवरी में कड़ाके की सर्दी में एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने जा रही थीं, तभी उनकी गाड़ी हादसे का शिकार हो गई थी। वह महज 18 साल की उम्र में अभिनेत्री और गायिका के रूप में पहचान बना चुकी थीं। बहन की मौत ने गर्ग को गहराई से प्रभावित किया था। वह अपने संगीत कार्यक्रमों में अक्सर उनका जिक्र किया करते थे। शुक्रवार को परिवार ने सिंगापुर में समुद्र में हुए हादसे में अपने इकलौते बेटे को भी खो दिया। गर्ग के परिवार में अब उनके बीमार पिता, व्यथित पत्नी और एक बहन रह गई हैं। भूगोल की शिक्षिका पाम्ले बोरठाकुर अब मोहिनी मोहन बोरठाकुर और दिवंगत इली बोरठाकुर की तीन संतानों में एकमात्र जीवित बची संतान हैं। जुबिन के चाचा मनोज कुमार बोरठाकुर ने डिब्रूगढ़ से फोन पर बताया,'यह हमारे लिए बेहद दुखद घड़ी है और इस पर यकीन करना कठिन है। अब हम एक-दूसरे का सहारा बनने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते।'








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