22 सितंबर से जीएसटी दरों में बड़े बदलाव,ट्रेडर्स मैन्युफैक्चरर रिटेलर को करनी होगी तैयारी

22 सितंबर से जीएसटी दरों में बड़े बदलाव,ट्रेडर्स मैन्युफैक्चरर रिटेलर को करनी होगी तैयारी

नई दिल्ली, सितंबर 2025: 22 सितंबर 2025 से देशभर में वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों में बड़े बदलाव लागू होने जा रहे हैं। जीएसटी काउंसिल ने उत्पादवार (HSN-wise) दरों की नई सूची www.gstcouncil.gov.in पर जारी की है। इन बदलावों के बाद व्यापारियों और निर्माताओं को अपने स्टॉक और बिक्री में आवश्यक संशोधन करना होगा।

यदि कोई व्यापारी है और उसके उत्पाद पर जीएसटी दर घट रही है, तो 22 सितंबर से उसे कम दर पर बिक्री करनी होगी। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी ने 22 सितंबर से पहले ₹1,00,000 का माल खरीदा जिस पर 18% जीएसटी यानी ₹18,000 लगा और कुल खरीद मूल्य ₹1,18,000 हुआ, और वह माल 22 सितंबर के बाद 5% जीएसटी दर पर बेचना है, तो बिक्री मूल्य ₹1,05,000 होगा। इस स्थिति में व्यापारी को नुकसान नहीं होगा क्योंकि ₹13,000 का अतिरिक्त टैक्स इनपुट क्रेडिट में समायोजित किया जा सकेगा। हालांकि, इस इनपुट क्रेडिट का नकद रिफंड नहीं मिलेगा, बल्कि यह भविष्य की बिक्री में एडजस्ट करना होगा।

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यदि व्यापारी एमआरपी आधारित बिक्री करता है तो उसे नई दर लागू होने के बाद एमआरपी कम करना होगा और पैकिंग पर पुराना व नया दोनों एमआरपी दर्शाना अनिवार्य होगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई उत्पाद पहले ₹120 में बिक रहा था जिसमें 12% जीएसटी शामिल था, और अब जीएसटी दर 5% हो गई है, तो नया एमआरपी ₹112.50 दर्ज करना होगा। इस प्रकार उपभोक्ता को स्पष्ट जानकारी मिलेगी कि दरों में कमी के कारण कीमत घटी है। निर्माताओं को सुविधा दी गई है कि वे पुराना पैकिंग मटेरियल 31 दिसंबर 2025 तक इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उस पर दोनों एमआरपी दरें दिखाना जरूरी होगा।

निर्माताओं के लिए भी यह बदलाव अहम है। यदि किसी प्रोडक्ट पर जीएसटी दर घट रही है तो 22 सितंबर से नई दर पर ही बिक्री करनी होगी। वहीं, यदि रॉ मटेरियल पर अधिक दर से जीएसटी चुकाया गया है, जैसे 18%, लेकिन तैयार प्रोडक्ट पर केवल 5% जीएसटी लगाना है, तो पूरे 18% का इनपुट क्रेडिट मिलेगा और इसका रिफंड भी लिया जा सकेगा। खास बात यह है कि 1 नवंबर 2025 से रिफंड प्रक्रिया को और सरल बनाया जा रहा है ताकि निर्माताओं को समय पर राहत मिल सके।

यदि किसी प्रोडक्ट पर जीएसटी दर शून्य (Zero) कर दी गई है, तो 22 सितंबर से उसके बाद खरीदी गई वस्तुओं पर इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। 22 सितंबर से पहले जो स्टॉक उपलब्ध है, उसका इनपुट क्रेडिट उसी रात रिवर्स करना होगा। इसी प्रकार यदि किसी व्यापारी ने 22 सितंबर से पहले 12% या 18% दर पर माल खरीदा है और बाद में उसे वापस करता है, तो क्रेडिट नोट नई दर पर जारी होगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने ₹1,00,000 का माल 12% जीएसटी यानी ₹1,12,000 में खरीदा और 22 सितंबर के बाद उसे लौटाया, तो सप्लायर ₹1,05,000 का क्रेडिट नोट देगा। शेष ₹7,000 का टैक्स नुकसान नहीं होगा क्योंकि इसे इनपुट क्रेडिट के रूप में समायोजित किया जा सकेगा।

कुछ विशेष उत्पाद जैसे पान मसाला, सिगरेट, तंबाकू, बीड़ी और च्युइंग गम पर जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर से तुरंत लागू नहीं होगा। इन पर नई दरें केवल अलग से जारी अधिसूचना के बाद ही प्रभावी होंगी।

जीएसटी दरों में यह बदलाव न केवल कर ढांचे को सरल बनाने की दिशा में है, बल्कि उपभोक्ताओं तक कर लाभ पहुंचाने का भी प्रयास है। व्यापारियों और निर्माताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे पारदर्शिता बनाए रखते हुए इन नए नियमों का पालन करें।

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सीए चेतन तारवानी का कहना है की "जीएसटी दरों में यह परिवर्तन न केवल कर ढांचे को सरल बनाने का प्रयास है, बल्कि यह व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए पारदर्शिता और राहत की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। मेरा मानना है कि यदि व्यापारी समय पर इन नियमों को समझकर लागू करेंगे तो उन्हें न केवल टैक्स कम्प्लायंस में आसानी होगी बल्कि उनके ग्राहकों का विश्वास भी और मजबूत होगा।"








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