आत्मा और शरीर की शुद्धि करते हैं नवरात्र के नौ दिन, प्रकृति और जीवन के संतुलन से जुड़ी है वजह

आत्मा और शरीर की शुद्धि करते हैं नवरात्र के नौ दिन, प्रकृति और जीवन के संतुलन से जुड़ी है वजह

 नई दिल्ली :  नवरात्र भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। साल में दो बार नवरात्र आते हैं, लेकिन इसमें शारदीय नवरात्र का खास महत्व है। नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही जरूरी नहीं है, बल्कि इसके पीछे प्रकृति, स्वास्थ्य और जीवन संतुलन से जुड़ी कई गहरी वजहें भी छिपी हैं आइए जानें क्यों यह त्योहार पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है।

प्रकृति और चंद्रमा का संबंध

नवरात्र हमेशा मौसम में बदलाव के समय आता है- एक बार गर्मियों की शुरुआत से पहले और दूसरी बार सर्दियों से पहले। यह वे समय होते हैं जब शरीर और मन सबसे ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। दरअसल, नौ दिन में चंद्रमा के एक चक्र को दिखाते हैं, जो अमावस्या से नवमी तक का होता है। प्राचीन ऋषि मानते थे कि नौ रातें शरीर और मन को शुद्ध करने और नए मौसम के अनुसार ढालने के लिए काफी होती हैं।

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उपवास और स्वास्थ्य लाभ

नवरात्र में उपवास केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसके पीछे साइंस भी छिपा है। मौसम बदलने पर पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और भारी हैवी खाना पचाने में शरीर को परेशानी होती है।

उपवास के दौरान हल्का और सात्विक खाना-जैसे फल, मेवे और कुट्टू का आटा, समक के चावल आदि खाने की परंपरा है। इससे शरीर डिटॉक्स होता है, पाचन में सुधार होता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। आसान भाषा में इसे यूं समझ लीजिए कि उपवास शरीर और मन दोनों के लिए फायदेमंद है।

देवी के नौ रूप और जीवन के नौ पाठ

नवरात्र का हर दिन देवी दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। इन रूपों का संदेश जीवन के लिए मार्गदर्शन भी करता है।

  • दिन 1: ऊर्जा- नई शुरुआत की ताकत
  • दिन 2: ज्ञान- सही मार्गदर्शन
  • दिन 3: साहस- डर से लड़ने की क्षमता
  • दिन 4: करुणा- दूसरों के लिए दया
  • दिन 5: अनुशासन- विकास का आधार
  • दिन 6: सहनशक्ति- कठिनाइयों को झेलने की ताकत
  • दिन 7: धैर्य- सही समय की प्रतीक्षा
  • दिन 8: भक्ति- आत्मसमर्पण की भावना
  • दिन 9: सिद्धि- पूर्णता और संतुलन

इस तरह यह त्योहार केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि आत्मविकास की प्रक्रिया है।

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परंपरा और विज्ञान का संगम

  1. नवरात्र के दौरान गरबा और डांडिया नृत्य होते हैं। घंटों गोल घेरा बनाकर नृत्य करना न केवल मनोरंजन है, बल्कि यह बेहतरीन एक्सरसाइज भी है, जो ब्लड सर्कुलेशन सुधारता है और एनर्जी को बैलेंस करता है।
  2. दीप जलाने की परंपरा भी पुराने समय में काफी प्रैक्टिकल थी। यह वातावरण को शुद्ध करती है, अंधकार को दूर करती है और कीड़े-मकौड़ों को भी दूर रखती है।
  3. इसी तरह नवरात्र के नौ रंग हमारे मूड और एनर्जी को प्रभावित करता है, जिससे हर दिन नई उमंग बनी रहती है।








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