छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने माना पति को पालतू चूहा कहना मानसिक क्रूरता, पत्नी को 5 लाख गुजारा भत्ता देने का आदेश

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने माना पति को पालतू चूहा कहना मानसिक क्रूरता, पत्नी को 5 लाख गुजारा भत्ता देने का आदेश

 बिलासपुर :  तलाक के एक मामले में पति को माता-पिता से अलग रहने की जिद करने और पालतू चूहा कहने और को हाईकोर्ट ने मानसिक क्रूरता माना है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा, कि भारतीय संयुक्त परिवार की व्यवस्था में पति को माता-पिता से अलग करने की जिद करना मानसिक क्रूरता है. मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बैंच में हुई.

मामले में फैमिली कोर्ट ने पति का आवेदन मंजूर करते हुए तलाक को मंजूरी दी थी. पत्नी ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने पत्नी को 5 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता देने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा बेटे को हर माह गुजारा भत्ता देना होगा.

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बता दें, कि रायपुर निवासी दंपती की 28 जून 2009 को शादी हुई थी. 5 जून 2010 को उनका एक बेटा हुआ. पति ने अपनी पत्नी पर क्रूरता और परित्याग के आरोप लगाते हुए फैमिली कोर्ट रायपुर में तलाक के लिए याचिका लगाई. जहां 23 अगस्त 2019 को दोनों का तलाक मंजूर हुआ. पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की. पति ने अपने पक्ष में तर्क दिया कि पत्नी ने उनके माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया और उनसे अलग रहने की जिद की. ऐसा करने से इनकार करने पर पत्नी आक्रामक व्यवहार करने लगी. उसे शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचाया. यह भी बताया कि माता-पिता की बात मानने के लिए पत्नी अपमानजनक रूप से उसे पालतू चूहा कहती थी. इसके अलावा उसने खुद गर्भपात करने का प्रयास किया. बताया कि पत्नी 24 अगस्त 2010 को तीजा के दौरान अपने मायके चली गई और उसके बाद कभी वापस नहीं आई.

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मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पत्नी द्वारा भेजे गए एक टेक्स्ट मैसेज को भी सबूत माना. इस मैसेज में पत्नी ने कहा था कि अगर तुम अपने माता-पिता को छोड़कर मेरे साथ रहना चाहते हो तो जवाब दो, वरना मत पूछो. प्रति परीक्षण के दौरान पत्नी ने स्वीकार किया था कि उसने यह मैसेज भेजा था. उसने यह भी माना कि वह अगस्त 2010 के बाद अपने ससुराल नहीं लौटी.

फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की आय पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने पाया कि पत्नी लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत हैं, जबकि पति छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक में अकाउंटेंट हैं. वर्तमान में पत्नी अपने बेटे के साथ रहती हैं. बेटे के पालन-पोषण के लिए 6 हजार और उसे हर माह एक हजार रुपए गुजारा भत्ता मिल रहा है. सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने पति को अपनी पूर्व पत्नी को एकमुश्त 5 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है.








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