मुंगेली : शहर में चल रहे गौरव पथ निर्माण कार्य को लेकर नगरवासियों और व्यापारियों में गहरी नाराजगी व्याप्त है। लोगों का कहना है कि इस सड़क निर्माण की वास्तविक आवश्यकता ही नहीं थी, जबकि इसके चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। गौरव पथ के डिवाइडर और किनारों पर लगे दर्जनों सालों पुराने हरे-भरे पेड़ अब या तो काट दिए गए हैं या फिर काटे जाने की तैयारी में हैं।
नगरपालिका का दावा और हकीकत में अंतर
नगर पालिका इंजीनियर से बातचीत की गई, तो उन्होंने दावा किया कि सभी पेड़ों को जड़ समेत निकालकर सुरक्षित स्थान पर लगाया जाएगा। मगर हकीकत इससे अलग नजर आई। हाल ही में देखा गया कि निकाले गए पेड़ों को पास के रेहूटा ग्राम में यूं ही फेंक दिया गया। इस संबंध में ठेकेदार के सुपरवाइजर ने सफाई देते हुए कहा कि उनका काम केवल पेड़ों को निकालना और एक जगह रख देना है। लगाने की जिम्मेदारी नगरपालिका की है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यदि ग्रामवासी इन पेड़ों को काटकर ले जा रहे हैं, तो उसमें उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।
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प्रशासन का दावा – नियमों की अनदेखी पर होगी कार्रवाई
वहीं दूसरी ओर मुख्य नगरपालिका अधिकारी और इंजीनियर ने कहा कि ठेकेदार को पहले ही सख्त निर्देश दिए गए थे कि जितने पेड़ हटाए जाएंगे, उतने ही पेड़ पुनः लगाए जाएं। यदि इस नियम की अनदेखी की गई है, तो ठेकेदार को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के मामले में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पर्यावरण प्रेमियों का आरोप – ‘एक पेड़ मां के नाम’ महज दिखावा
पर्यावरण प्रेमियों ने इस पूरे प्रकरण पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि रात के अंधेरे में पेड़ों की कटाई की जा रही है और इन्हें सुरक्षित रूप से लगाने की बजाय लावारिस की तरह फेंका जा रहा है। उनका कहना है कि केवल पेड़ लगाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि वर्षों की देखभाल के बाद ही पेड़ छांव देने और पर्यावरण संतुलन में योगदान करने लायक बनते हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने शासन के “एक पेड़ मां के नाम” अभियान पर भी सवाल उठाए और कहा कि यदि इस तरह की लापरवाही जारी रही, तो यह अभियान केवल कागजों और नारों तक सिमट कर रह जाएगा।
नगरवासियों का विरोध तेज, प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी नजर
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का कहना है कि नगर की सुंदरता और पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान पहुंचाने वाले इस काम को तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि पेड़ों को सुरक्षित रूप से लगाने की कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। अब देखना यह होगा कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी और प्रशासन इस मामले में कितना गंभीर कदम उठाते हैं और क्या सचमुच पेड़ों को बचाने और पुनः रोपण कराने की दिशा में ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।
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