कम समय में तैयार होने वाली सब्जियों में मूली किसानों के लिए फायदे का बेहतरीन विकल्प है. इसकी मांग बाजार में सालभर बनी रहती है और सही किस्मों की बुवाई करने पर किसान कम दिनों में ही अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं. रबी सीजन में मूली की उन्नत किस्मों की खेती न सिर्फ जल्दी तैयार होती है बल्कि अधिक उत्पादन भी देती है, जिससे यह किसानों के लिए लाभदायक सौदा साबित हो सकती है.
वैसे मूली एक ऐसी फसल है जिसकी खेती कभी भी की जा सकती है. यह ऐसी फसल है जो बहुत ही कम दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. ऐसे में किसानों के लिए मूली की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. इसकी खेती रबी क़े सीजन में कर सकते हैं. ऐसे में किसान मूली की कुछ उन्नत किस्में हैं जिनकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
हमारे यहां मूली की खेती बड़े पैमाने पर की जाती हैं, क्योंकि मूली एक ऐसी सब्जी है जिनकी डिमांड हमेशा बनी रहती है और ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. क्योंकि इसमें रासायनिक वह कीटनाशक दवाइयां का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता मूली की कई ऐसी किस्म है जिनकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पूसा चेतकी एक कम समय में तैयार होने वाली किस्म है, इसके पत्ते एक समान रूप से हरे और बिना कटे हुए होते हैं और इसके पत्तों को इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जा सकता है. यह किस्म 35 से 40 दिन में बुवाई के बाद तैयार हो जाती है. पूसा चेतकी की जड़ 25 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं, खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है.
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पंजाब पसंद किस्म यह मूली की जल्दी पकने वाली किस्म है. खास बात यह है कि इस किस्म की बुवाई बेमौसम में भी की जा सकती है. इसकी जड़ें लंबी, रंग सफेद और बालों रहित होती है. ये बुवाई के 45 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है. मुख्य मौसम में इसकी औसतन पैदावार 215 से लेकर 235 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और बेमौसम में इसकी औसत पैदावार 150 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है.
पूसा रेशमी मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती है. यह समान रूप से चिकनी और हल्की तीखी होती है. यह किस्म बुवाई से करीब 55 से लेकर 60 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से करीब 315 से लेकर 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार होती है.
जापानी सफेद मूली की इस किस्म की जड़ें सफेद,15 से 22 सेंटीमीटर बेलनाकर,कम तीखी, मुलायम और चिकनी होती हैं. यह किस्म बुवाई से 45 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से 250 से लेकर 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
पूसा देसी किस्म की खेती रबी मौसम में की जाती है. इसकी जड़ों का निचला भाग नुकीला होता है और लंबाई लगभग एक फीट तक होती है. जड़ें सफेद और थोड़ी मोटी होती हैं, जिनका स्वाद हल्का कड़वा होता है. इसी कारण इसका उपयोग अचार और सब्जी बनाने में अधिक किया जाता है. यह किस्म 40 से 45 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन लगभग 30 टन होता है.
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