इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ मनोज कुमार साहू ने किसानों को हल्दी और अदरक की खेती के प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. उन्होंने बताया कि इन दोनों फसलों में जल निकास की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है. यदि खेत में पानी रुक जाता है, तो कंद का विकास प्रभावित होता है और सड़न की समस्या भी बढ़ जाती है. यही कारण है कि खेती करने वाले किसानों को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि खेत में पानी बिल्कुल न ठहरे और उचित जल निकास प्रणाली बनाई जाए.
उन्होंने आगे कहा कि जब खेत में नमी कम हो और जमीन सूखने लगे, तब अंतिम गुड़ाई करना जरूरी है. इस प्रक्रिया के दौरान डी.ए.पी. और पोटाश का मिश्रण डालकर पौधों को आवश्यक पोषण देना चाहिए. इसके बाद मिट्टी चढ़ाने से फसल मजबूत होती है और कंद का विकास भी अच्छे से होता है. विशेषज्ञ मनोज कुमार साहू ने बताया कि जिन किसानों की हल्दी की फसल कमजोर दिखाई दे रही है, उन्हें ह्यूमिक एसिड का इस्तेमाल करना चाहिए. यह प्रति एकड़ पांच किलो की मात्रा में डालना लाभकारी होता है. इसके बाद मिट्टी चढ़ाने से पौधों को मजबूती मिलती है और उत्पादन में सुधार होता है.
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कृषि विज्ञान केंद्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ मनोज कुमार साहू ने कहा कि जिन किसानों ने हल्दी और अदरक की खेती ड्रिप सिंचाई पद्धति से की है, उन्हें विशेष रूप से पोटाश का ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए 00052 पोटाश का प्रयोग किया जाता है. इसकी दो किलो प्रति एकड़ की मात्रा हर सप्ताह ड्रिप से देने पर कंद का विकास बेहतर तरीके से होता है और उपज में बढ़ोतरी होती है.
उन्होंने छत्तीसगढ़ के मौजूदा मौसम की स्थिति पर भी प्रकाश डाला. आजकल कभी तेज बारिश तो कभी तेज धूप की स्थिति बन रही है. ऐसे मौसम में हल्दी और अदरक के पत्तों पर स्पॉट यानी धब्बे दिखाई देने लगते हैं. यह रोग फैलने पर पौधों की पत्तियां पीली होकर सूख जाती हैं और पौधे की भोजन बनाने की क्षमता कम हो जाती है. इस स्थिति से बचने के लिए उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे रिडोमिल गोल्ड या साफ पाउडर का छिड़काव करें. इससे पत्तियों को रोग से मुक्त रखा जा सकता है.
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