प्रभु श्री राम से द्रोह, ये है देश द्रोह

प्रभु श्री राम से द्रोह, ये है देश द्रोह

 तमिलनाडु :  तमिलनाडु की पेरियारवादी संगठन थंथई पेरियार द्रविड़र कड़गम (TDPK) ने बुधवार को चेन्‍नई के मायलापुर स्थित संस्‍कृत कॉलेज के बाहर राम, सीता और लक्ष्‍मण के पुतले जलाकर विवाद खड़ा कर दिया. संगठन ने इसे ‘रावणन लीला’ का नाम दिया है, जो कि उत्‍तर भारत में मनाई जाने वाली रामलीला का जवाब बताया जा रहा है. पुलिस की सख्‍त सुरक्षा और रोक-टोक के बावजूद प्रदर्शनकारी करीब 40 कार्यकर्ता बैरिकेड तोड़कर पुतले जलाने में सफल रहे. इस घटना के बाद 11 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर अदालत ने रिमांड पर भेज दिया है.

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - वक्त था निखरने का, ईमानदारी बिखर गई

यह कैसी मान्‍यता

टीडीपीके नेता एस. कुमरन ने कहा, ‘हमारे कार्यक्रम के अनुसार हमने पुलिस की नाकेबंदी तोड़कर पुतला दहन किया. यह विरोध रामायण में द्रविड़ों को राक्षस के रूप में चित्रित करने और हिन्‍दू संस्‍कृति की प्रभुता थोपने के खिलाफ है.’ संगठन का आरोप है कि दिल्‍ली में दशहरा के मौके पर हर साल रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे पुतले जलाए जाते हैं, जिन्‍हें वे द्रविड़ पहचान से जोड़ते हैं. कुमरन का कहना था, ‘जब उत्‍तर भारत में हमारे पूर्वज समझे जाने वाले रावण का पुतला जलाकर अपमान किया जाता है, तो हम भी जवाब में ‘रावणन लीला’ मनाते हैं.’ यह भी दावा किया कि उन्‍होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दिल्‍ली में रावण दहन रोकने की मांग की थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

इतिहासकारों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब पेरियारवादी संगठनों ने इस तरह का कार्यक्रम किया हो. साल 1970 के दशक में भी रावणन लीला या रावण लीला आयोजित हुई थी. साल 1974 में पेरियार की पत्‍नी मणियाम्‍मै ने चेन्‍नई के पेरियार थिडल में राम का पुतला दहन किया था. हालांकि, उसके बाद यह परंपरा लंबे समय तक सक्रिय नहीं रही. बुधवार को हुए इस विवादित आयोजन ने एक बार फिर रामायण, द्रविड़ राजनीति और सांस्कृतिक पहचान पर बहस को तेज कर दिया है.

 









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments