बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाला : तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल दोबारा निलम्बित

बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाला : तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल दोबारा निलम्बित

रायगढ़:  छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 के भू-अर्जन में हुआ ऐतिहासिक घोटाला हुआ है। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करने की फाइल ईओडब्ल्यू में लंबित है। इस बीच सरकार ने तत्कालीन घरघोड़ा एसडीएम अशोक मार्बल को सस्पेंड किया था। तीन महीने में आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाने के कारण शासन ने मार्बल को दोबारा निलंबित कर दिया है। रायगढ़ जिले में कई तरह के भूअर्जन घोटाले सामने आते हैं। बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाला अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। घोटालेबाजों ने सरकारी कंपनी सीएसपीजीसीएल को सुनियोजित तरीके से नुकसान पहुंचाया गया। इसका असर कोयला खनन की लागत पर पड़ा है।

तत्कालीन एसडीएम घरघोड़ा अशोक मार्बल ने भूअर्जन प्रकरणों में लापरवाही करते हुए त्रुटिपूर्ण मुआवजा पत्रक बनाया था। असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं, पोल्ट्री फार्म आदि का मनमानी मुआवजा आकलन किया गया। परिसंपत्तियों के आकलन में ज्यादा गड़बड़ी की गई। तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल की संलिप्तता इसमें उजागर हुई है। रायगढ़ निवासी दुर्गेश शर्मा की शिकायत पर राज्य सरकार ने जांच टीम बनाई थी। मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। इसमें लीज क्षेत्र के अंतर्गत 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि पर सरफेस राइट के तहत भू-अर्जन किया गया।

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जुलाई 2020 को प्रारंभिक सूचना प्रकाशित की गई। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। सीएसपीजीसीएल की आपत्ति पर मुआवजा 415.69 करोड़ हुआ। यह राशि पांच गुना ज्यादा थी। इस मामले में 5 जून 2025 को शासन ने अशोक मार्बल वर्तमान डिप्टी कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ को निलंबित किया था। 90 दिन के अंदर आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण निलंबन की अवधि आगे निकल गई। इसके बाद मार्बल ज्वाइन करने सारंगढ़ पहुंच गए। इस वजह से शासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई को प्रभावित करने की संभावना को देखते हुए अशोक मार्बल को दोबारा निलंबित कर दिया।

ज्वाइनिंग करने पहुंचे थे जिला कार्यालय

बजरमुड़ा घोटाला एक उदाहरण है, जिसमें आसानी से समझा जा सकता है, जिनके हाथों में सरकार ने अरबों रुपए बांटने का अधिकार दिया है, वे आसानी से इसमें गबन कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक 90 दिन गुजरने के बाद अशोक मार्बल ने सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में आमद दी। उन्होंने ज्वाइन करने की अनुमति मांगी, तब कलेक्टर ने सामान्य प्रशासन विभाग को सूचना दी। इसके बाद जीएडी ने दोबारा निलंबन का आदेश जारी किया।

कई आरोपी हैं इस सुनियोजित घोटाले में

बजरमुड़ा में सर्वे के दौरान तत्कालीन एसडीएम घरघोड़ा अशोक मार्बल के नेतृत्व में परिसंपत्तियों का आकलन हुआ। जहां पेड़ नहीं थे, वहां हजारों पेड़ दिखा दिए गए। उसी भूमि को सिंचित भी बता दिया। घोटाले के लिए जिम्मेदार तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, पीडब्ल्यूडी सब इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीटगार्ड रामसेवक महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है। इनके अलावा चितराम राठिया रेंजर वन विभाग, केपी राठौर एसडीओ पीडब्ल्यूडी, देवप्रकाश वर्मा सहायक अभियंता पीएचई, बलराम प्रसाद पडि़हारी परिक्षेत्र सहायक खम्हरिया वृत्त वन विभाग, आरके टंडन सहायक अभियंता पीएचई, तिरिथ राम कश्यप तहसीलदार तमनार, सीआर सिदार पटवारी, मालिक राम राठिया पटवारी के नाम संलिप्त पाए गए हैं। 









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