रायपुर : हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारी एमडी पनरिया जो फिलहाल अंबिकापुर में एडिशनल कमिश्नर के रूप में बैठे हैं वहीं हर्ष कुमार जोशी अपने ऊँची पहुंच का पूरा फ़ायदा उठा कर हाउसिंग बोर्ड के मुयालय और नवा रायपुर क्षेत्र के एडिशनल कमिश्नर के रूप में जमे हुए हैं। अब इनके खिलाफ कार्रवाई करेगा कौन? 1000- करोड़ से ऊपर का तालपूरी घोटाले का पूरा प्रकरण जिसमें स्पष्ट रूप से जाँच अधिकारी ने एक हज़ार से ज़्यादा करोड़ का घोटाला तालपूरी आवासीय प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से अपने घोटाले की जांच प्रतिवेदन जमा की थी लेकिन इतनी महत्वपूर्ण फ़ाइल को बड़ी चालाकी से इन लोगो ने विभाग से ही ग़ायब कर दिया, मजे की बात हजारों करोड़ के घोटाले की महत्वपूर्ण फाइल का गुम जाना ही अपने आप में बहुत बड़े भ्रष्टाचार की तस्दीक करता है। ये सब अधिकारी, स पदा अधिकारी के साथ मिलकर कमिश्नर को गुमराह करते हैं और झूठी रिपोर्ट पेश करते हैं। हाउसिंग बोर्ड में एक हजार करोड़ का घोटाला के मामले में भूपेश के रिश्तेदार भ्रष्ट अधिकारी विभाग और सरकार को बदनाम कर रहें हैं।
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भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ़ समाचार सबूतों के साथ छाप रहा है। जिसके आधार है वर्तमान हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर अवनीष शरण ने तालपुरी घोटाले की फ़ाइल को तलब किया और फ़ाइल नहीं मिलने की स्थिति में एक शासकीय आदेश पारित हुआ जिसमें एफआईआर दर्ज कराने के लिए पत्र मुय अधिकारी को लिखा गया। लेकिन पुलिस थाना राखी के प्रभारी ने भ्रष्ट अधिकारियों के प्रभाव में आकर एफआईआर दर्ज नहीं की गई न ही फ़ाइल की चोरी की जाँच अपने हाथों में लिया और कमिश्नर को गुम हुए फाइल के बारे में गलत जानकारी देते रहे और अपने खिलाफ जाँच को षडयंतपूर्वक रोकने में कामयाब रहे। दूसरी ओर जब राखी टीआई से बातचीत की तो टीआई ने स्पष्ट कहा के इसमें संपदा अधिकारी ने सिर्फ फ़ाइल गुम होने की सूचना दी है इसलिए फ़ैना काटकर आगे बढ़ा दिया गया केस नस्तिबंद कर दिया। सूचना के अधिकार के द्वारा निकाले गए 2002 से लेकर 2018-19 तक पर्याप्त सबूत बताते हैं कि तालपुरी घोटाला हजार करोड़ से उपर का था जिसकी जांच तत्कालीन संपदा अधिकारी ने की थी। वो जांच रिपोर्ट भी लोकआयुक्त को शिकायत करते समय जमा करवाई थी। अभी छत्तीसगढ़ लोक आयुक्त में भ्रष्टाचार का प्रकरण लंबित है। भ्रष्ट अधिकारी वर्तमान सरकार और विभाग को जबरन बदनाम कर रहे। दूसरी बात जब कमिश्नर ने फाइल गुमने की एफआईआर करने हेतु आदेश दिया था तो सिर्फ फाइल गुमने की शिकायत क्यों की गई , थाना प्रभारी को पत्र लिखकर सीधे एफआईआर करने हेतु बोला जाना था लेकिन इन भ्रष्ट अधिकारीयों ने मिलीभगत कर सिर्फ सूचना दी और एफआईआर नहीं करवाया। इस सबन्ध में कमिश्नर को भी गुमराह कर गलत जानकारी दी जा रही है।
भूपेश बघेल की सरकार में हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारी एमडी पनरिया हर्ष कुमार जोशी है और एच के वर्मा लगातार मनमाना प्रमोशन भूपेश बघेल को रिश्तेदारी बताने से और पैसे का लेनदेन/ से कर लिया था इसका परिणाम की अब यह हो रहा है चोरों के हाथ में ही सपूर्ण हाउसिंग बोर्ड जैसा महत्वपूर्ण विभाग हाथ में आ गया जबकि वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है विभागीय मंत्री ओपी चौधरी लगातार भ्रष्ट अधिकारियों को कड़ी सजा अगर भ्रष्टाचार हुआ तो और गंभीरता से जाँच में लेने हेतु अपने विभाग में लगातार मेहनत कर रहे है।
लोकायुक्त में भी सबूतों के साथ भ्रष्टाचार की शिकायत दी गई लेकिन इस फ़ाइल को ही गुम होने की शिकायत देकर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने सिर्फ औपचारिकता पूर्ण की और भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का प्रयास करने में लगे रहे क्योंकि भ्रष्ट अधिकारी ही वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड में उच्च पदों में आसीन है। भ्रष्ट अधिकारियों ने गृह निर्माण मंडल को पूरी तरह से खोखला कर दिया है। बिना प्लानिंग, बिना डिमांड, मनमाने ढंग से पहले अपनी कमाई के लिए जमीन तलाशते हैं । गृह निर्माण मंडल के भूमि अधिग्रहण के पहले आसपास की सभी भूमि को चिन्हित कर गृह निर्माण मंडल के भ्रष्ट अधिकारी अपने सहयोगी भ्रष्टाचारियों के साथ मिलकर कमाए गए पैसे को सही उपयोग में लगाते हुए गृह निर्माण मंडल की योजनाएं लागू होने के पहले ही आसपास की सभी बेशकीमती कमर्शियल भूमि बेनामी संपत्ति के नाम पर क्रय कर लेते हैं और किसी बिल्डर को पार्टनर बनाकर गृह निर्माण मंडल से पहले ही आसपास की भूमि में प्लाटिंग की व्यवस्था अधिकारी अपनी मिली भगत और ताकत से करते हैं। मु यसंपदा अधिकारी मु यालय हाउसिंग बोर्ड नवा रायपुर के पत्र क्रमांक 1166/एफ 44/संपदा दिनांक 3 /6/2025 के मुताबिक तालपुरी रूआबांधा दुर्ग भिलाई के संयुक्त आवासीय परियोजनाओं की जाँच रिपोर्ट गुम के सबन्ध में एफआईआर करने के सबन्ध में जानकारी दी गई थी जबकि वास्तव में एफआईआर हुई ही नहीं है बल्कि थाना प्रभारी राखी ने अपने पत्र क्रमांक 57 / 2025 दिनांक 2/6/2025 में स्पष्ट लिखा है कि यह मामला पुलिस अहस्तक्षेप अयोग्य अपराध का होने से शायल को फैना देकर वरिष्ठ कार्यालय के शरण जाने का राय दिया। इससे स्पष्ट होता है कि एफआईआर हुआ ही नहीं। उसके बाद मामला फिर ठन्डे बस्ते में चला गया। इस सब मामले में हाउसिंग बोर्ड के बड़े बड़े अधिकारी की संलिप्तता स्पष्ट दिख रही है लेकिन कार्रवाई कुछ छोटे कर्मचारियों पर करके इतिश्री कर ली गई।
बहाने से जांच को प्रभावित करने की कोशिश
लगातार पांच सालों से पेशी उपरांत सभी प्रकार की जांच लगातार लोक आयोग द्वारा की गई और आवेदक के शपथ पत्र के आधार पर बयान भी दर्ज कराया गया प्रकरण एक फरवरी 2020 में लोक आयोग में पंजीयन किया गया, तब से लेकर आज तक गृह निर्माण मंडल के अधिकारी कोई न कोई बहाने से जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे है। हद तो तब हो गई जब भूपेश सरकार के समय सिवाय पेशी देने के अलावा कोई कार्य निष्पादन नहीं हुआ जांच को पूर्ण नहीं किया गया। न ही दोषी अधिकारी को सजा दी गई । पिछली पेशी दिनांक दिनांक 7 मई 2025 में गृह निर्माण मंडल के कमिश्नर को कोर्ट ने समन जारी कर तलब किया गया था। गृह निर्माण मंडल कोई भी जवाब नहीं दिया गया। उसके बाद तारीख 27 जून 2025 को गृह निर्माण मंडल के कमिश्नर को व्यक्तिगत उपस्थिति का समन जारी हुआ उस पड़ाव को भी आसानी से पार कर हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारी आगे बढ़ गये हैं। कोर्ट के इतना समन जारी होने के बाद भी इन अधिकारियों को पदोन्नति मिलती रही और आज उच्च पदों पर आसीन हो गए है अब ये जाँच को प्रभावित ही नहीं कर रहे हैं बल्कि जाँच भी नहीं होने दे रहे हैं।
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बड़े घोटालेबाजों ने सब तरफ सेटिंग का जाल बिछाया
शासन को चाहिए उस वक्त की सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आया था लेकिन इन बड़े घोटालेबाजों ने सब तरफ सेटिंग का जाल बिछाकर सबको उसमे फंसा लिया और कार्रवाई होने नहीं दी। बिना प्लानिंग और घटिया निर्माण के कारण गृह निर्माण मंडल के न मकान बिकते हैं न लैट बिकता है और बिल्डर द्वारा निर्मित सभी लैट और सभी प्लाट पहले बिक जाते हैं, इससे जहिर होता है कि बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत हर प्रोजेक्ट में होती है।हाउसिंग बोर्ड के सभी प्रोजेक्ट में ठेकेदारों से 30 से 35 प्रतिशत कमीशन के चक्कर में घटिया निर्माण किए जाने के कारण से हाउसिंग बोर्ड के कोई भी प्रोजेक्ट को सफलता नहीं मिलती । लैट और कई सारे प्रोजेक्ट पड़े पड़े खराब और कंडम हो गए और कबाड़ बन गए हैं। भ्रष्टाचारियों ने सारी हदें पार कर दी है। पिछले 20 से 25 सालों से गृह निर्माण मंडल को अपनी जागीर समझकर मनमाने ढंग से तालपुरी घोटाला, अभिलाषा परिसर का घोटाला और हिमालयन हाइट जैसे घोटाले 1500 से 2000 करोड़ के करीब है । जिसकी गहराई से जांच शासन करे तथा एक-एक इंच जमीन का हिसाब ले और भौतिक सत्यापन किया जाए तो सच्चाई सामने आएगी । टेंडर बुक के विपरीत जाकर प्रोजेक्ट को अनाप-शनाप ढंग से ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार से पूरा काम कराया जाता है ।
तालपुरी घोटाले में भारी अनियमितता हुई
टेंडर की शर्तों का उल्लंघन भी किया जाता है। अतिरिक्त निर्माण भी कराया गया । अतिरिक्त मकान भी बनाए गए और फिर उस मकान में कब्जा भी किया गया। तालपुरी घोटाले में भारी अनियमितता हुई है। एक ही ठेके के ऊपर दूसरा ठेका जैसा गंभीर अपराध बार-बार किया गया । लोक आयोग के पास पिछले 20 सालों के सभी दस्तावेज सूचना के अधिकार में प्राप्त कर मय शपथ पत्र जमा कराए हैं ।
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