पाकिस्तान और अमेरिका में हुई बड़ी डील,देश के अंदर ही होने लगा विरोध

पाकिस्तान और अमेरिका में हुई बड़ी डील,देश के अंदर ही होने लगा विरोध

नई दिल्ली : पाकिस्तान और अमेरिका के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी का नया अध्याय शुरू हो गया है। दोनों देशों ने दुर्लभ खनिजों के निर्यात समझौते को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) ने सितंबर में पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के तहत पहला खनिज नमूना अमेरिका भेजा है। यह डिलीवरी पाकिस्तान के लिए वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रंखला में शामिल होने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।

कितना निवेश करेगी अमेरिकी कंपनी

अमेरिकी कंपनी USSM पाकिस्तान में लगभग 500 मिलियन डॉलर (करीब 4000 करोड़) का निवेश करेगी। इस निवेश से देश में खनिज प्रसंस्करण और विकास केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पहली खेप में एंटिमनी, कॉपर कंसंट्रेट और दुर्लभ तत्व जैसे नियोडिमियम और प्रेसियोडियिम शामिल हैं।

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यह शिपमेंट फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से तैयार की गई है। USSM के CEO स्टेसी डब्ल्यू हैस्टी ने कहा, यह डिलीवरी पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सहयोग का नया अध्याय खोलती है।

कितने डॉलर मिलने की है संभावना

रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता पाकिस्तान को वैश्विक खनिज बाजार में नई पहचान दिला सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पाकिस्तान के खनिज भंडारों की कुल कीमत करीब 6 ट्रिलियन डॉलर (500 लाख करोड़) है।

इससे देश को रोजगार के अवसर, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और अरबों डॉलर की आमदनी मिलने की संभावना है। वहीं, अमेरिका के लिए यह साझेदारी खनिज आपूर्ति में आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम कदम है, ताकि वह अन्य देशों पर निर्भर न रहे।

वहीं, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी ने इस समझौते पर कड़ा विरोध जताया है। PTI के सूचना सचिव शेख वकास अकरम ने इसे गुप्त और एकतरफा समझौता बताया। उन्होंने कहा, "सरकार को संसद और जनता के सामने इन डील्स का पूरा ब्यौरा देना चाहिए। देश के हितों से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

विपक्ष का हमला

अकरम ने साथ ही हाल की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान पासनी पोर्ट को अमेरिका को देने की योजना बना रहा है। हालांकि, "सेना के सूत्रों ने इसे व्यावसायिक विचार बताया, न कि आधिकारिक नीति।"

अकरम ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को मुगल बादशाह जहांगीर की 1615 की गलती से सबक लेना चाहिए, जब उन्होंने ब्रिटिशों को सूरत बंदरगाह पर व्यापार की अनुमति दी थी जिससे भारत पर औपनिवेशिक शासन की शुरुआत हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पीपीपी और पीएमएल-एन पार्टियां जनता का ध्यान भटकाने के लिए आपसी राजनीतिक नाटक कर रही हैं।









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