मौसम में नमी के बीच धान की फसल पर कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. अगर पहले से ही कुछ सावधानियां बरत ली जाएं तो नुकसान से बच सकते हैं.
खेतों में लगी धान की फसलों में बालियां निकल रही हैं. दूसरी ओर मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन से फसलों पर बुरा असर देखने को मिल रहा है. कभी बारिश और कभी धूप के कारण वातावरण में नमी अधिक बढ़ रही है. इससे फसलों में हरदिया रोग और गंधी बग कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण किसानों की ओर से मिट्टी में नाइट्रोजन का प्रयोग अधिक किया जा रहा है. इससे भी फसलों पर हरदिया रोग और गंधी बग कीट लगने की समस्या देखने को मिल रही है.
कृषि एक्सपर्ट डॉ. एलसी वर्मा बताते हैं कि इस रोग से फसलों का बचाव बेहद आवश्यक है. समय रहते यदि किसान इस तरह के रोग से बचाव के लिए जरूरी इंतजाम करते हैं तो फसलों को खराब होने से बचाया जा सकता है. हरदिया रोग फफूंद से होता है. वातावरण में अधिक नमी होने के कारण रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है.
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - वक्त था निखरने का, ईमानदारी बिखर गई
ऐसे पहचाने रोग
अगर फसल इस रोग से प्रभावित है तो धान की बालियों का रंग पीला हो जाता है. रोग से प्रभावित धान के दाने दोगुने आकर के हो जाते हैं. सामान्यतः धान की बाली में कुछ दाने ही रोग से प्रभावित होते हैं, जो दूसरी बालियों और पौधों तक भी फैल जाते हैं. इससे दूसरी फसलों पर भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है. अगर समय पर इस रोग से बचाव नहीं किया जाता है तो 30% तक उपज प्रभावित हो सकती है. इस रोग के बचाव के लिए सबसे पहले किसानों को चाहिए कि वह अपने खेतों में खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें.
इनका छिड़काव जरूरी
दवाओं के छिड़काव के लिए कल्ले बनते समय कॉपर हाइड्रोक्साइड 77% डब्ल्यूपी की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा फसलों की बालियां निकलते समय प्रापिकोनाजोल 25% इसी की 1 एमएल मात्र प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें. इससे समय रहते फसलों को इस तरह के रोगों से बचाया जा सकता है.
Comments