इन तरीकों से करें मटर की खेती, बंपर होगी पैदावार, जबरदस्त होगा मुनाफा

इन तरीकों से करें मटर की खेती, बंपर होगी पैदावार, जबरदस्त होगा मुनाफा

 मटर की खेती ठंडी और शुष्क जलवायु में सबसे अच्छी होती है. तापमान 10°C से 25°C के बीच इसकी वृद्धि के लिए आदर्श है.मिट्टी की बात करें तो हल्की दोमट या जल निकासी वाली दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त रहती है. मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 तक होना चाहिए. अत्यधिक नमी या जलभराव वाली मिट्टी में मटर की जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए ऐसी जमीन से बचना चाहिए.

मटर भारत में सर्दी के मौसम की एक प्रमुख फसल है, जिसे रबी सीजन में उगाया जाता है. यह एक ऐसी फसल है जो न केवल किसानों को आर्थिक लाभ देती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है, क्योंकि इसकी जड़ें नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं. मटर की सब्जी का उपयोग घर-घर में किया जाता है और इसका दाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है. अगर किसान सही किस्म का चुनाव और उचित समय पर बुवाई करें, तो उपज और मुनाफा दोनों बढ़ सकते हैं.

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मटर की खेती ठंडी और शुष्क जलवायु में सबसे अच्छी होती है. तापमान 10°C से 25°C के बीच इसकी वृद्धि के लिए आदर्श है.मिट्टी की बात करें तो हल्की दोमट या जल निकासी वाली दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त रहती है. मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 तक होना चाहिए. अत्यधिक नमी या जलभराव वाली मिट्टी में मटर की जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए ऐसी जमीन से बचना चाहिए.

मटर की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के पहले सप्ताह तक होता है. उत्तर भारत में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बुवाई की जाती है. मैदानी इलाकों में जल्दी पकने वाली किस्में अक्टूबर के पहले पखवाड़े में और देर से पकने वाली किस्में नवंबर की शुरुआत में बोई जाती हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में मटर की बुवाई नवंबर के अंत तक की जा सकती है.

कृषि वैज्ञानिकों ने कई ऐसी किस्में विकसित की हैं जो अधिक उपज, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और स्वाद में बेहतरीन है. अरकल जल्दी पकने वाली किस्म है. 60–65 दिन में फल देने लगती है. उपज लगभग 10–12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. बोनविल यह देर से पकने वाली किस्म है, जिसका दाना मीठा और मुलायम होता है. पूषा प्रगति मध्यम अवधि वाली किस्म है, रोगों के प्रति सहनशील और उच्च उत्पादन देने वाली है.

मटर की फसल में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर देना उचित होता है. पहली सिंचाई बुवाई के 20–25 दिन बाद और दूसरी फूल आने के समय करनी चाहिए. मटर की खेती कम लागत और ज्यादा लाभ वाली फसल मानी जाती है.

सही समय पर बुवाई, उन्नत किस्मों का चुनाव और संतुलित उर्वरक प्रबंधन से किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। अक्टूबर से नवंबर मटर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय है, जिससे फसल न केवल अच्छी बढ़ती है बल्कि बाजार में ऊंचे दाम भी दिलाती है।








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