एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन के बाद डिजिटल क्रॉस सर्वे और गिरदावरी से हो रहा क्रॉस वेरीफिकेशन

एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन के बाद डिजिटल क्रॉस सर्वे और गिरदावरी से हो रहा क्रॉस वेरीफिकेशन

रायगढ़ :  धान खरीदी के पहले पूरे राज्य में युद्ध स्तर पर खसरों का सत्यापन किया जा रहा है। पता चल रहा है कि डिजिटल क्रॉप सर्वे और गिरदावरी में जिस खसरे पर धान बताया गया था, वहां भी धान नहीं मिला है। शासन ने कुल खसरों के 5 प्रश का भौतिक सत्यापन करने का आदेश दिया था। हर साल धान खरीदी में पड़ती भूमि या अन्य फसल वाली जमीन का भी पंजीयन करा लिया जाता था जो गलत है। इस वजह से शासन को उस जमीन का भी धान खरीदना पड़ता है, जहां धान बोया ही नहीं गया है। इस बार ऐसी स्थिति को रोकने के लिए शासन ने पांच प्रश खसरों का सत्यापन करने का आदेश दिया था।

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रायगढ़ जिले में कुल 642755 खसरा नंबरों में से 32964 का सत्यापन किया जा रहा है। अब तक 27835 खसरों का सत्यापन हो चुका है। इसमें से 1623 खसरों में धान नहीं पाया गया है, जबकि डीसीएस और गिरदावरी में धान दर्ज किया गया था। इसलिए इन खसरों को पंजीयन से विलोपित किया जा रहा है। डीसीएस में धान लेकिन गिरदावरी में अन्य फसल वाले 352, गिरदावरी में धान लेकिन डीसीएस में अन्य फसल वाले 639 खसरे जांच किए गए। सभी वन अधिकार पट्टों की जांच हुई। संवेदनशील उपार्जन केंद्रों के 1770 खसरे जांच किए जा रहे हैं। अब तक 81 प्रश सत्यापन हो चुका है। 1623 खसरों में धान नहीं पाए जाने का अर्थ है, बड़े पैमाने पर गलत एंट्री की गई है।

पांच प्रश खसरों में ही सामने आया पैटर्न
रायगढ़ जिले में धान खरीदी में अनियमितता का एक पैटर्न होता है। फर्जी पंजीयन, बोगस रकबा दिखाकर किसान की भूमि बढ़ा दी जाती है। जब धान नहीं होता तो बाहर से धान लाकर खपाया जाता है। सोचिए कि 27835 खसरों में 1623 खसरों में धान नहीं मिला है। आनुपातिक रूप से गणना करें तो करीब 3.50 लाख खसरों में धान नहीं मिलेगा। यह बहुत बड़ी संख्या है।









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