ट्रंप के सामने शहबाज ने रोया दुखड़ा,"पता नहीं कौन जिंदा रहता"

ट्रंप के सामने शहबाज ने रोया दुखड़ा,"पता नहीं कौन जिंदा रहता"

नई दिल्ली : मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित गाजा शांति सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की भर-भरकर तारीफ की है। शरीफ की बातें तारीफ से ज्यादा चाटुकारिता लग रही थी। मंच से शरीफ ने ट्रंप को 'मैन ऑफ पीस' तक करार दे दिया।

पाकिस्तानी पीएम ने ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोकने के लिए क्रेडिट देते हुए कहा कि उन्होंने इसमें काफी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप यह संघर्ष नहीं रुकवाते तो न जाने कितने लोगों की जान चली जाती।

ट्रंप की तारीफ में शरीफ के बोल

इसके बाद जब ट्रंप ने मंच पर भाषण देने आए तो वह अचानक पीछे मुड़े और शरीफ से कहा, "क्या आप कुछ कहना चाहेंगे? वह कहिए जो आपने मुझसे उस दिन कहा था।" इस पर शरीफ मंच पर आए और कहा, "आज का दिन आधुनिक इतिहास के सबसे महान दिनों में से एक है, क्योंकि लगातार कोशिशों के बाद आखिरकार शांति हासिल हुई है। यह सब राष्ट्रपति ट्रंप की अगुवाई में हुआ, जो वास्तव में शांति के सच्चे समर्थक हैं और जिन्होंने दिन रात मेहनत कर इस दुनिया को शांति और समृद्धि की जगह बनाने की दिशा में काम किया है।"

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इतना ही नहीं, शहबाज शरीफ ने ट्रंप की तारीफ में ये भी कहा कि पाकिस्तान ने उन्हें शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है, क्योंकि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने और सीजफायर कराने में अहम योगदान दिया था। उन्होंने कहा, "इतिहास आपको उस व्यक्ति के रूप में याद रखेगा, जिसने सात और अब 8 युद्धों को रोका है।"

शरीफ ने ट्रंप को बताया दूरदर्शी नेता

पाकिस्तानी पीएम ने डोनल्ड ट्रंप को दूरदर्शी नेता बताया और कहा कि मैं आपकी दूरदर्शी और उदाहरणीय नेतृत्व की सराहना करता हूं। उन्होंने कहा, "आप इस समय दुनिया के सबसे जरूरी नेता हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं और अगर ट्रंप ने चार दिनों के भीतर हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो युद्ध किस हद तक बढ़ता ये कोई नहीं जानता।"

ट्रंप के दावे को भारत ने किया था खारिज

बता दें, ट्रंप ने कई ये दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष को रुकवाया था। हालांकि, भारत ने स्पष्ट कहा है कि संघर्षविराम दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत से हुआ और इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।








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