हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ऐसे में धनतेरस के दिन यानी 18 अक्टूबर को शनि प्रदोष व्रत किया जाएगा। शनि प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा के साथ-साथ शनिदेव की कृपा प्राप्ति के लिए भी खास माना जाता है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसे में आप इस खास मौके पर शनिदेव के मंत्रों का जप करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
जरूर करें ये काम
शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे विशेषकर नीले या काले रंग के कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल, काले तिल व अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। इसके बाद, पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनिदेव की पूजा करें। इस दौरान शनि देव के मंत्रों का जप भी जरूर करें। इस दिन पर आपको शनि चालीसा व शनि स्तोत्र का पाठ करने से भी शनिदेव की कृपा की प्राप्ति हो सकती है।
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करें इन चीजों का दान
शनि प्रदोष व्रत के दिन आप शनिदेव से संबंधित चीजों जैसे काले तिल, काले रंग के वस्त्र, सरसों के तेल, काली उड़द की दाल, चप्पल-जूते और छाते आदि का दान कर सकते हैं। इसके साथ ही आप शनि प्रदोष व्रत के दिन गरीबों और जरूरमंद लोगों के बीच अपनी क्षमता के अनुसार, अन्न और धन का दान भी कर सकते हैं।
शनि देव के मंत्र
1. शनि बीज मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
2. शनि गायत्री मंत्र - ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
3. "ॐ शं शनैश्चराय नमः"
4. "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
5. "ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।
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