भ्रूण हत्या ,भ्रूण की कोख में हत्या इस पाप का अहसास किसी को नही होता क्योंकि इसे स्वार्थी समाज की स्वीकृति मिली हुई है, शिक्षा,स्वार्थ परख हो तो बुद्धजीवी भी स्वार्थी ही पैदा होते हैं ,बुद्धजीवियों का समूह जिन्हें हम पत्रकार और पत्रकारिता के नाम से जानतें है उनका कृत्य है, एक दिन पहले एक अख़बार में ED के हवाले से खबर छपी की कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने घपले -घोटालों की खबर न छापने के लिए पत्रकार और मीडिया हाउसों को मैनेज करने के लिए करोड़ो ले खुद डकार लिया, इस खबर की भ्रूण हत्या होनी उसकी नियति थी और वही हो रहा, सारे बल्लम और प्रदेश के 1,2,3.........अख़बार और चैनल मौन है, इस खबर को पढ़ने से पता चलता है कि कांग्रेस सरकार अखबारों और मीडिया हाउसों को मैनेज कर रही थी, पत्रकारों ने दावा किया है की उस प्रवक्ता ने दो करोड़ दस लाख इस घूसखोरी के मद से कमाएं, बेनामी संपत्ति बनाई, अपनी पत्नी के लिए लाखों के जेवरात खरीदें पर पत्रकारिता ये पता नही कर पाई की उसने किन पत्रकारों को पैसा दिया जबकी खबर में ही दावा है की उसने ED के सामने पत्रकारों को पैसा देना स्वीकारा।
ED की चार्जशीट कहती है 169 एंट्री से 31 करोड़ सौम्या चौरसिया ने 13 एंट्री से 5.52 करोड़ रानू साहू ने 11 एंट्री से 3 करोड़ रूपये विधायक देवेन्द्र यादव ने 2 एंट्री से 46 लाख रूपये लिए पूर्व विधायक चंद्रदेव राय ने लिए ,सौम्या चौरसिया ने इन्ही पैसों से अपनी माँ के नाम 22 प्रॉपर्टी रानू साहू ने अपने रिश्तेदारों के नाम 13 प्रॉपर्टी खरीदी, इस खबर की सबसे कलंकित शब्दावली ये है की ------"पत्रकारों और मीडिया हाउस के मालिकों को पैसा नही देने के बाद लगातार सरकार विरोधी खबर प्रकाशित होने के बाद सरकार परेशान हो गई" यह प्रमाण हैं सरकार के घृणित कृत्य का पत्रकारिता की पवित्रता का, इसी खबर में यह भी उधृत है की आरपी सिंह एक नंबर का झूठा कांग्रेसी है, आज तक किसी को एक अठ्ठनी नही दिया ,दर्द इस बात का है की उसने पैसे नही दिए वर्ना वों बिकने को तैयार थे ,ED के खिलाफ समाचारों की बाढ़ आ गई होती जब्त डायरी सारा खेल बिगाड़ रही है ,नकाब जब सबके उतर रहे तो मीडिया का भी उतरना ही है।
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छत्तीसगढ़ के अखबारों मीडिया संस्थानों की कमान गैर छत्तीसगढ़ियों के हांथो में है छत्तीसगढ़ी माटी से इनका इतना ही नाता है की सरकारों ने इन्हें भूखंड और मकान दिया है एक -एक ने कई -कई बार लिया है ,छत्तीसगढ़िया,छत्तीसगढ़िया की रट लगाने वाली सरकारों को लीज की भूमि का मीडिया संस्थानों द्वारा व्यवसायिक दुरुपयोग नही दिखता है, एक रूपये की जमीन पर करोड़ो के कॉम्प्लेक्स ,उससे करोड़ो की किराया वसूली ये राजधानी की तस्वीर है, एक बल्ब या एक पम्प की बिजली चोरी पकड़ने वाली CSEB अखबारों के लाखों की बिजली चोरी नही पकड़ पाती है लाखों की प्रसार संख्या, मशीन की कार्यक्षमता, लोड और बिजली बिल उनका ये बताता है कि या तो प्रसार संख्या कहीं नही है या फिर बिजली चोरी हो रही है, राजनीतिक दल के उम्मीदवार जनप्रतिनिधि बनने से पहले अनुकूल समाचारों के नाम पर मीडिया संस्थानों को चढ़ावा देते हैं ,चुनाव मीडिया के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है ,वास्तविकता है ये ,पर दावे ठीक इसके उलटे हैं।
कई संपादको को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मासिक वसूली राशि का नजराना भेजा, 6 हजार की तनख्वाह में 6 हजार फिट की बंगलें ऐसे ही नही बनें, मीडिया वालों के संपत्ति की यदि जाँच हो गई तो आय से अधिक संपत्ति के सारे रिकार्ड ध्वस्त हो जाएंगे, इसके बाद भी पत्रकारिता को मिशन बताने वाले बताएं की उन्हें कोई बिकाऊ कैसे समझा, उनके पास बिकने का कुछ तो प्रमाण रहा होगा ? खरीदने वाला आरपी सिंह गैर छत्तीसगढ़िया बिकने वाले पत्रकारिता के कर्णधार गैर छत्तीसगढ़िया ,भविष्य दांव पर छत्तीसगढ़ का, छत्तीसगढ़ की माटी पर छत्तीसगढ़िया का खेल चल रहा, गैर छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ को लूट रहे ,दुर्भाग्य ये है की छत्तीसगढ़ को लुटने में मीडिया सबका अग्रज बन बिकने को तैयार है ,खरीददारों की है बहार ,कलम हार रही बार -बार, फिर भी बारम्बार ये कहते हैं की हम आमजन के प्रहरी हैं ,कलम की स्याही ख़बरों के लिए नही खरबों के लिए घिसी जा रही, कागज पे समाचार नही संपत्तियां लिखवाई जा रही, जिनके जिम्मे नैतिकता थी वों रोज नैतिकता तोड़ रहे, दस्यु नही दस्युओं के सरदार बन रहे चुनांचे सार यही है ----------------------------कलमवीर अब दस्यु सरदार बन गए
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी
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