मुंगेर : मुंगेर विधानसभा सीट पर भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए मौजूदा विधायक प्रणव कुमार का टिकट काट दिया है और पूर्व जिलाध्यक्ष कुमार प्रणय को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने इस बार स्पष्ट रूप से वैश्य समाज को साधने की कोशिश की है। प्रणय, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के करीबी माने जाते हैं और संगठन में उनकी सक्रियता ने भी टिकट की राह आसान की।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने 2009 के उपचुनाव में वैश्य समाज से आने वाले अपने नेता विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता को टिकट नहीं दिया था, जिसका फायदा लालू प्रसाद ने उठाया था। उन्होंने गुप्ता को राजद से मैदान में उतारा और जीत दर्ज की थी। इस घटना को भाजपा की रणनीतिक चूक माना गया था।
मुंगेर नगर निगम क्षेत्र में लगभग 60 हजार वैश्य मतदाता हैं। लंबे समय से इस समुदाय से प्रत्याशी उतारने की मांग उठती रही थी। ऐसे में कुमार प्रणय को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने न सिर्फ पुरानी गलती सुधारी है, बल्कि एक सशक्त सामाजिक संदेश भी दिया है।
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इधर, टिकट कटने से विधायक प्रणव कुमार के समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। वे 2020 में बेहद कम अंतर से राजद उम्मीदवार को हराने में सफल हुए थे।
तारापुर में सम्राट को उतारा
तारापुर विधानसभा सीट जदयू से भाजपा के खाते में चली गई है। पार्टी ने यहां से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे मौजूदा विधायक राजीव कुमार सिंह का टिकट कट गया है। पहली बार सीधे तारापुर से चुनावी अखाड़े में उतर रहे उपमुख्यमंत्री के लिए पार्टी ने सुरक्षित जीत का समीकरण पहले से गढ़ दिया है।
सम्राट चौधरी का तारापुर क्षेत्र से गहरा परिवारिक जुड़ाव है। उनके पिता पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी और माता स्व. पार्वती देवी इस सीट से विधायक रह चुकी हैं। 1985 से 2005 तक यह सीट पूरी तरह चौधरी परिवार के कब्जे में रही। क्षेत्र में सम्राट चौधरी ने कई विकास योजनाओं का शिलान्यास किया है, जिससे उनका जनाधार मजबूत है। तारापुर एक तो कुशवाहा बहुल सीट है।
साथ ही यहां एनडीए के परंपरागत वोटर सवर्ण और वैश्य की संख्या भी निर्णायक रहती है। मुंगेर विधानसभा सीट से भाजपा ने कुमार प्रणय को उम्मीदवार बनाया है। इससे सम्राट के पक्ष में वैश्य मतों की गोलबंदी आसानी से हो जाएगी।
गौरतलब है कि सम्राट की प्रारंभिक शिक्षा तारापुर में ही हुई है। इस कारण यहां से इनका जनसरोकार बना रहा। माता-पिता के चुनाव में उतरने के दौरान प्रबंधन की कमान सम्राट ही संभालते रहे।
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