लहसुन एक बहुउपयोगी फसल है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. यह विभिन्न व्यंजनों और अचारों में उपयोग होता है, जिससे बाज़ार में इसकी मांग स्थिर रहती है. इसकी फसल कीटों और बीमारियों के प्रति काफी प्रतिरोधी होती है, जिससे किसानों का जोखिम कम होता है. इसको लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है, जिससे अच्छी कीमत मिलने तक बेचा जा सकता है.
जिला उद्यान अधिकारी डॉ पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि लहसुन की खेती किसानों के लिए एक नकदी की फसल है. इसकी अच्छी बाज़ार कीमत और प्रति एकड़ उच्च पैदावार के कारण किसानों के लिए फायदे का सौदा है. कई राज्यों में इसकी प्रोसेसिंग यूनिट्स भी स्थापित हैं, जहां लहसुन पाउडर, पेस्ट और तेल बनाकर निर्यात किया जाता है, जिससे अतिरिक्त मुनाफा होता है. लेकिन किसानों को लहसुन की खेती करते समय उन्नत किस्म का चयन करना चाहिए.
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यमुना सफ़ेद 3 लहसुन की एक उन्नत किस्म है जो किसानों की पहली पसंद है. इसके शल्क कन्द सफ़ेद और बड़े आकार के होते हैं. इसके एक कंद में 15 से 16 कलियां होती हैं. कंद का व्यास 4.5 से 5.5 सेमी होता है. यह किस्म 150 से 160 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 170 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. यह किस्म कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है.
यमुना सफ़ेद 2 लहसुन की एक उन्नत किस्म है जो अपनी कई खूबियों के लिए जानी जाती है. यह किस्म 145 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है और 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज देती है. यह बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति काफी प्रतिरोधी है. यह किस्म भारत के उत्तरी भागों में खेती के लिए अच्छी मानी जाती है. इस किस्म का लहसुन लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. खासकर तराई क्षेत्र के लिए बेहद ही उपयुक्त है.
यमुना सफ़ेद 5 लहसुन की किस्म अपनी कई खूबियों के लिए जानी जाती है. उच्च गुणवत्ता के कारण यह किस्म लहसुन के उत्पादों जैसे लहसुन पाउडर, लहसुन का तेल बनाने के लिए पसंद की जाती है. यह किस्म 150 से 160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है. खास बात यह है कि 150 से 160 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसके एक कंद का व्यास 4.5 से 5 सेमी तक होता है. कंद में 22 से 30 कलियां होती है.
यमुना सफ़ेद 8 लहसुन को लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है. यह किस्म पर्पल ब्लाज और ब्लाइट रोधी होती है. यह 150 से 160 दिनों में पककर तैयार होती है, और 170 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है. इसकी उच्च पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अच्छे स्वाद के कारण इसकी मांग बाजार में काफी अधिक है.
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