झारखंड-बिहार में बड़े स्तर पर धान की खेती होती है. वहीं, सितंबर से ऑक्टूबर महीने में फसल पक के तैयार होते है. पलामू जिले की बात करें, तो इस बार अच्छी वर्षा होने से खेती से क्षेत्र बढ़ा है. वहीं, सितंबर से अक्टूबर महीने में जब धान पकते है, तो एक समस्या सामने आती है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आती है.
धान की फसल इस समय पकने की अवस्था में है. ऐसे में एक नया कीट 'गंधी बग' किसानों के लिए मुसीबत बन सकता है. जब धान की बाली पकती है, तो खेतों में इसका असर बढ़ने की समस्या आती है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर असर पड़ सकता है. ऐसे में बचाव करना बेहद जरूरी है.
कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि गंधी बग लगभग 15 मिलीमीटर लंबा, भूरे रंग का कीट होता है. इसकी सबसे बड़ी पहचान इसकी दुर्गंध है, जिससे यह आसानी से पहचाना जा सकता है. यह कीट मुख्य रूप से धान की बालियों में दूधिया दानों का रस चूसता है, जिससे दाने सूखकर खोखले रह जाते हैं. इसका प्रकोप बालियां निकलने के बाद बढ़ता है.
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कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि गंधी बग का हमला फसल के उत्पादन को 30 से 50 प्रतिशत तक घटा सकता है. यह कीट खेतों में झुंड बनाकर फैलता है और कुछ ही दिनों में पूरी फसल को नुकसान पहुंचा देता है. प्रभावित बालियों में दाने सफेद और हल्के हो जाते हैं, जिससे बाजार मूल्य भी घट जाता है.
उन्होंने कहा कि खेतों में गंधी बग की संख्या को कम करने के लिए नियमित निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार को पूरी तरह हटा दें, क्योंकि यह कीट झाड़ियों में छिपकर पनपता है. सुबह या शाम के समय जब यह सक्रिय होता है, तभी कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें. प्रभावित खेतों के चारों ओर जाल लगाना भी उपयोगी होता है.
उन्होंने कहा कि इस कीट से बचाव के लिए कीटनाशक छिड़काव के समय सावधानी बरतें. स्प्रे करते समय खेत के चारों कोनों में समान मात्रा में दवा छिड़कें ताकि सभी पौधों पर इसका असर पड़े. यदि कीट का प्रकोप अधिक है, तो 10 से 15 दिन के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें.
आगे कहा कि धान में हर्दिया या ब्लास्ट जैसे रोग भी इस मौसम में आम हैं. इससे बचाव के लिए फफूंदनाशक दवाओं का सही छिड़काव बेहद आवश्यक है. कल्ले बनते समय कॉपर हाइड्रॉक्साइड 77% WP की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें. वहीं बालियां निकलने पर प्रोपिकोनाजोल 25% EC की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से रोग नियंत्रण में रहेगा.
उन्होंने कहा कि इस वक्त किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है. वर्तमान समय में खास तौर पर खेतों का रोजाना निरीक्षण करने की जरूरत है और यदि कहीं कीट दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी कृषि केंद्र से सलाह लें. कई स्थानों पर फसल बीमा योजना के अंतर्गत तकनीकी सहायता भी दी जा रही है.
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