नवजात के सीने पर लिखा-मां एचआईवी पॉजिटिव,कोर्ट ने बच्चे के माता-पिता को दिलाया 2 लाख का मुआवजा

नवजात के सीने पर लिखा-मां एचआईवी पॉजिटिव,कोर्ट ने बच्चे के माता-पिता को दिलाया 2 लाख का मुआवजा

बिलासपुर :  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राजधानी रायपुर के डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में नवजात शिशु के सीने पर 'इसकी मां एचआइवी पाजिटिव है' लिखी तख्ती लगाने की घटना को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने इसे अमानवीय और असंवेदनशील कृत्य बताते हुए राज्य सरकार को नवजात के माता-पिता को दो लाख का मुआवजा चार सप्ताह के भीतर देने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने मंगलवार को दिया। अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर सुनवाई की थी।

क्या है मामला

10 अक्टूबर 2025 को समाचार पत्र में एक खबर प्रकाशित हुई थी कि रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में एक नवजात के सीने के पास तख्ती लगाई गई थी, जिस पर लिखा था 'इसकी मां एचआइवी पाजिटिव है।' यह दृश्य देखकर पिता व स्वजन रो पड़े थे। खबर सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने तत्काल मामले का संज्ञान लिया और मुख्य सचिव को जांच कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - कलमवीर अब दस्यु सरदार बन गए 

मुख्य सचिव ने पेश की रिपोर्ट

मुख्य सचिव ने 14 अक्टूबर को कोर्ट में व्यक्तिगत हलफनामा पेश किया। इसमें बताया गया कि चिकित्सा शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई थी, जिसने घटना की जांच कर रिपोर्ट सौंपी है। राज्य सरकार ने यह भी बताया कि, एचआइवी/एड्स (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) Act, 2017 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों को गोपनीयता बनाए रखने और भेदभाव रोकने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए नियमित प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

कोर्ट ने कही सख्त बातें

हाई कोर्ट ने कहा कि, किसी भी सरकारी अस्पताल द्वारा मरीज की पहचान और बीमारी सार्वजनिक करना निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। अदालत ने कहा कि, इस तरह की हरकत न केवल असंवेदनशील है बल्कि असंवैधानिक भी। यह मरीज और उसके परिवार के जीवन को सामाजिक कलंक में धकेल सकती है।

अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि, माता-पिता को दो लाख का मुआवजा चार सप्ताह में अदा किया जाए। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कड़े दिशा-निर्देश और संवेदनशीलता प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर 2025 को होगी, जिसमें अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।








You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments