मंदिर या मकबरा? इतिहास के पन्नों को दोबारा पलटेगी परेश रावल की फिल्म, रिलीज हुआ ट्रेलर

मंदिर या मकबरा? इतिहास के पन्नों को दोबारा पलटेगी परेश रावल की फिल्म, रिलीज हुआ ट्रेलर

द ताज स्टोरी का ट्रेलर: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता परेश रावल एक बार फिर कोर्टरूम ड्रामा में लौट आए हैं। उनकी नई फिल्म 'द ताज स्टोरी' का ट्रेलर गुरुवार को जारी किया गया, जो ताजमहल के पीछे की एक अनसुनी कहानी को उजागर करता है।यह फिल्म न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को चुनौती देती है, बल्कि धार्मिक विश्वासों और सच्चाई के बीच के संघर्ष को भी दर्शाती है।

इस फिल्म का निर्देशन तुषार अमरीश गोयल ने किया है और यह 31 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। क्या यह फिल्म ताजमहल के 'असली चेहरे' को सामने लाएगी? ट्रेलर की शुरुआत ताजमहल की भव्यता से होती है, जहां परेश रावल विष्णु दास नामक एक टूर गाइड की भूमिका में नजर आते हैं। वे पर्यटकों को ताज की खूबसूरती के बारे में बताते हुए एक बड़ा सवाल उठाते हैं- 'क्या यह वही कहानी है जो हमें पढ़ाई जाती है?' विष्णु दास का किरदार इतना प्रभावशाली है कि वह ताजमहल पर मुकदमा दायर कर देता है।

कोर्ट में बहस शुरू होती है, जहां जज (जाकिर हुसैन) और दूसरे वकील (नमित दास) के बीच तीखी बहस होती है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे एक समुदाय विष्णु के इस कदम का विरोध करता है, जबकि कोर्ट में इतिहास के पुराने दस्तावेजों को पलटा जाता है। ये दस्तावेज ताजमहल को लेकर एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, जो 'इंटेलेक्चुअल टेररिज्म' की बात करते हैं। अमृता खानविलकर और स्नेहा वाघ जैसे सह-कलाकार भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आते हैं, जो कहानी को और गहराई देते हैं।

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'ओएमजी' के बाद परेश रावल का नया किरदार

परेश रावल का यह किरदार उनके पिछले कोर्ट ड्रामों 'ओएमजी' या 'हेरा फेरी' सीरीज से बिल्कुल अलग है। यहां वे एक साधारण गाइड से विद्रोही बन जाते हैं, जो साहस और विश्वास से भरा हुआ लगता है। ट्रेलर में उनका संवाद, 'ताजमहल दुनिया का सबसे बड़ा स्मारक है, लेकिन क्या इसकी सच्चाई दबाई जा रही है?' दर्शकों के मन में सवाल उठाता है। बैकग्राउंड में बजता ड्रामेटिक म्यूजिक और ताज की शानदार सिनेमेटोग्राफी फिल्म को एक हाई-वोल्टेज थ्रिलर का रूप देती है। हालांकि, ट्रेलर इतना इंट्रिगिंग है कि यह विवादों को भी जन्म दे रहा है। पहले ही फिल्म का मोशन पोस्टर, जिसमें ताज के गुंबद से शिवलिंग निकलता दिखाया गया था, पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया था।

'द ताज स्टोरी' का उद्देश्य

निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि 'द ताज स्टोरी' किसी धार्मिक मुद्दे पर आधारित नहीं है। यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित एक सामाजिक ड्रामा है, जो इतिहास, आस्था और स्वतंत्रता के सवाल उठाती है। परेश रावल ने कहा, 'विष्णु दास का सफर सच्चाई की खोज का है। यह फिल्म दर्शकों को इतिहास को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करती है।' प्रोडक्शन हाउस ने जोर देकर कहा कि फिल्म शिव मंदिर का दावा नहीं करती, बल्कि बौद्धिक दमन पर ध्यान केंद्रित करती है।








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