Bihar Politics: कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव तेज

Bihar Politics: कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव तेज

भागलपुर : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन की एकता फिर सवालों के घेरे में है। कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव तेज हो गया है। कांग्रेस कहलगांव और सुल्तानगंज दोनों सीटें अपने खाते में चाहती है, लेकिन राजद ने गठबंधन धर्म को दरकिनार करते हुए उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इससे न केवल तालमेल पर झटका लगा है, बल्कि दोनों दलों के बीच अविश्वास भी बढ़ गया है।

कांग्रेस का कहना है कि कहलगांव उनकी परंपरागत सीट रही है। यह दिवंगत वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह का गढ़ रही है, जो नौ बार विधायक रहे। 2020 में उनके पुत्र शुभनंद मुकेश कांग्रेस उम्मीदवार थे, लेकिन हार के बाद वे जदयू में शामिल हो गए। इसके बावजूद कांग्रेस इस सीट को अपने हिस्से में लेने पर अड़ी हुई है। पार्टी का तर्क है कि सदानंद सिंह की छवि और संगठनात्मक मजबूती अभी भी मजबूत है।

उधर, सुल्तानगंज में भी कांग्रेस का दावा मजबूत है। 2020 के चुनाव में यहां कांग्रेस के ललन कुमार ने मजबूत प्रदर्शन किया था और मामूली अंतर से हार मिली थी। इस बार पार्टी ने फिर उन पर भरोसा जताया है। ललन कुमार राहुल गांधी की “टैलेंट हंट” अभियान से उभरे युवा नेता हैं और राहुल ब्रिगेड के करीबी माने जाते हैं।

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कांग्रेस का मानना है कि उनकी लोकप्रियता और क्षेत्रीय पकड़ पार्टी को जीत दिला सकती है। यह मुद्दा तो है लेकिन कांग्रेस में भी आग सुलग रही है। सुल्तानंगज से कांग्रेस से टिकट की मांग रहे आनंद माधव ने कहा, हम लंबे समय से सुल्तानगंज में पार्टी को मजबूत कर रहे थे। जब टिकट मिलने की बारी आई तो पार्टी ने दूसरे को टिकट दे दिया। ऐसी स्थिति पार्टी में रहने का क्या फायदा।

बहरहाल, राजद ने कहलगांव सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राजद ने यह कदम झारखंड के मंत्री संजय यादव के परिवार को ध्यान में रखकर उठाया। बताया जा रहा है कि तेजस्वी यादव ने उनसे वादा किया था कि उनके बेटे को विधानसभा टिकट दिया जाएगा। इसी वजह से राजद ने कहलगांव में संजय यादव के बेटे रजनीश कुमार को मैदान में उतारा है।

तेजस्वी यादव ने हाल में कहलगांव में आयोजित एक बड़ी सभा में अपने उम्मीदवार का समर्थन कर यह साफ कर दिया कि राजद पीछे नहीं हटेगी। उनके इस कदम से कांग्रेस नेतृत्व सकते में है। पार्टी नेताओं का आरोप है कि गठबंधन में परामर्श और पारदर्शिता की प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज कर दी गई।

सुल्तानगंज सीट पर फिलहाल स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि राजद इस सीट से उम्मीदवार दे सकती है। चंदन पटेल उर्फ चंदन कुमार सिन्हा का दावा है कि उन्हें टिकट मिल गया है, लेकिन राजद जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर यादव का कहना है कि उन्हें इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं है।

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इससे साफ है कि सुल्तानगंज को लेकर भी गठबंधन में अनिश्चितता बनी हुई है। कहलगांव और सुल्तानगंज की सीटें भागलपुर क्षेत्र की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। यदि दोनों दल आपसी मतभेद नहीं सुलझा पाए, तो एनडीए को इसका सीधा लाभ मिल सकता है।

फिलहाल भागलपुर की धरती पर महागठबंधन का ताना-बाना फिर उलझ गया है। कहलगांव और सुल्तानगंज में दावेदारी, वादे और महत्वाकांक्षाएं आमने-सामने हैं। दोनों दलों के बीच यह खींचतान आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की रणनीति और गठबंधन की एकता पर बड़ा असर डाल सकती है।








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