पीएम मोदी ने नौसेना के साथ मनाई दिवाली, बोले -सौभाग्य है कि मैं ...

पीएम मोदी ने नौसेना के साथ मनाई दिवाली, बोले -सौभाग्य है कि मैं ...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत पर नौसेना के जवानों के साथ दिवाली मनाई। उन्होंने अपने संबोधन में इसे अपना सौभाग्य बताया। पीएम मोदी ने कहा कि यह दीवाली मेरे लिए खास है। उन्होंने कहा कि "दीपावली के पर्व में हर किसी को अपने परिवार के बीच दीवाली मनाने का मन करता है। मुझे भी मेरे परिवार जनों के बीच दिवाली मनाने की आदत हो गई है और इसलिए आप जो मेरे परिवार जन हैं, उनके बीच मैं दिवाली मनाने चला जाता हूं। मैं भी ये दिवाली मेरे परिवार जनों के साथ मना रहा हूं।"

शब्दों में कह पाना कठिन

उन्होंने कहा कि समंदर की पानी पर सूर्य किरणों की चमक जवानों द्वारा जलाए गए दीपावली के दिए हैं.. ये हमारी अलौकिक दीपमालाएं हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं नौसेना के जवानों के बीच दीपावली का पर्व मना रहा हूं। विक्रांत पर मनाई गई दीवाली को शब्दों में कह पाना कठिन है। कोई कवि इस तरह से उन अनुभूतियों को प्रकट नहीं कर पाएगा जिस तरह से यहां के जवान कर रहे हैं।

दिवाली कई मायनों में खास बन गई

पीएम मोदी ने कहा किआपकी तपस्या और समर्पण की ऊंचाई इतनी है कि मैं उसे जी नहीं पाया लेकिन महसूस कर पाया हूं। मैं आपकी धड़कन, सांसों को महसूस कर पा रहा था। मेरी दीवाली कई मायनों में खास बन गई है। उन्होंने आगे कहा, "मुझे याद है, जब INS विक्रांत को देश को सौंपा जा रहा था तो मैंने कहा था कि विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है, विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है बल्कि ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।"

ऑपरेशन सिंदूर का किया जिक्र

पीएम मोदी ने कहा कि जिसका नाम ही दुश्मन की साहस का अंत कर दे वह है आईएनएस विक्रांत। मैं इस अवसर पर अपनी सेनाओं को सैल्यूट करना चाहता हूं। तीनों सेनाओं के जबरदस्त समन्यव ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को इतनी जल्दी घुटने टेकने पर मजबूर किया था। मैं फिर एक बार आईएनएस विक्रांत की साधना और पराक्रम की स्थली से तीनों सेनाओं को सैल्यूट करता हूं। 

सेना का आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी 

पीएम मोदी ने कहा कि जब दुश्मन सामने हो, जब युद्ध की आशंका हो तब जिसके पास अपने दम पर लड़ाई लड़ने की ताकत हो उसका पलड़ा हमेशा भारी रहता है। सेनाओं के सशक्त होने के लिए उनका आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है। ये वीर जवान इसी मिट्टी में पैदा हुए हैं, इसी मिट्टी में पले हैं। जिस मां की गोद से उन्होंने जन्म लिया है, वो मां भी इसी मिट्टी में पली-बड़ी है और इसलिए इस मिट्टी के लिए मरने के लिए, इस मिट्टी के मान-सम्मान के लिए अपने आप को खपा देने की वो प्रेरणा रखते हैं, जो ताकत आपके भारतीय होने में है, जो ताकत आपका भारत की मिट्टी से जुड़े होने में जुड़ी हुई है वैसे ही हमारा हर औजार, शस्त्र, हर पुरजा जैसे-जैसे भारतीय होते जाएगा, हमारी ताकत को चार-चांद लग जाएंगे।









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