जानिए नवंबर का पहला सोम प्रदोष व्रत कब?

जानिए नवंबर का पहला सोम प्रदोष व्रत कब?

पंचांग में त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से हर तरह के दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जब यह तिथि सोमवार के दिन पड़ती है, तब इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. नवंबर महीने का पहला सोम प्रदोष व्रत इस बार 3 नवंबर 2025, सोमवार को पड़ रहा है. आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में.

सोम प्रदोष व्रत कब है?

1. सोम प्रदोष व्रत तिथि: 03 नवंबर 2025, सोमवार

2. कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 03 नवंबर 2025, सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर

3. कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त: 04 नवंबर 2025, रात 02 बजकर 5 मिनट पर चूंकि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (शाम का समय) में की जाती है और त्रयोदशी तिथि 03 नवंबर को प्रदोष काल में भी रहेगी, इसलिए सोम प्रदोष व्रत 03 नवंबर 2025 को रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:-  प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले की जाती है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है. इस काल में पूजा करना ही सर्वोत्तम फल देता है.

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:-  व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें. दिनभर मन ही मन शिव जी का स्मरण करें. प्रदोष काल आरंभ होने से पहले एक बार फिर स्नान करें. पूजा के लिए एक साफ जगह पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें या शिवलिंग को रखें. फिर सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें. शिव जी को चंदन का लेप लगाएं, बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल और शमी पत्र अर्पित करें. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. भोग में मौसमी फल, मिठाई और खीर चढ़ाएं. आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें. सबसे आखिर में शिव जी और माता पार्वती की आरती करें. पूजा समाप्त होने के बाद भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें.

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सोम प्रदोष व्रत का महत्व

1. रोग मुक्ति और चंद्र दोष निवारण: सोमवार का दिन भगवान शिव और चंद्र देव दोनों को समर्पित है. सोम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और सेहत अच्छी बनी रहती है. यह व्रत लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना के लिए विशेष फलदायी है.

2. मनोकामना पूर्ति: इस दिन सच्चे मन से व्रत और पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

3. सुख-शांति और वैवाहिक जीवन: इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति आती है और वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है. अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए भी यह व्रत रखती हैं.









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