छत्तीसगढ़ के इस जिले में जन्मा बकरी का अनोखा बच्चा, देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़

छत्तीसगढ़ के इस जिले में जन्मा बकरी का अनोखा बच्चा, देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के चांदनी बिहारपुर क्षेत्र के कोल्हूआ आश्रित ग्राम बोकराटोला में रामकेश साहू के घर रविवार को उनकी बकरी ने दो बच्चों को जन्म दिया परंतु इनमें से एक बच्चे का जन्म असामान्य संरचना के साथ हुआ, जिसने हर किसी को अचंभित कर दिया।

नवजात बकरी के बच्चे के आठ पैर, तीन कान और दो कमर थे। हालांकि जन्म के कुछ घंटे के भीतर ही इसकी मौत हो गई। जन्म के कुछ ही समय में यह असामान्य बच्चा ग्रामीणों की जिज्ञासा का केंद्र बन गया। आसपास के गांवों से लोग बड़ी संख्या में बोकराटोला पहुंचे।

रामकेश साहू का घर कौतूहल का स्थल बन गया, जहां लोग अपने मोबाइल फोन से तस्वीरें और वीडियो बनाकर इस अनोखी घटना को कैद कर रहे थे। कुछ लोग इसे प्रकृति का चमत्कार कह रहे हैं, तो कुछ इसे विज्ञानी दृष्टि से एक दुर्लभ जैविक घटना मान रहे हैं।

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विज्ञानियों की नजर में जैविक विकृति

वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. सीके मिश्रा ने बताया कि इस तरह की असामान्यता किसी संक्रमण या बीमारी के कारण नहीं होती। यह एक जैविक विकृति (Biological Anomaly) है जो भ्रूण के विकास के दौरान दो भ्रूणों के पूरी तरह से अलग न हो पाने पर उत्पन्न होती है। विज्ञानी भाषा में इसे "Conjoined Twin Malformation" यानी संयुक्त जुड़वा विकृति कहा जाता है।

दुर्लभ होते हैं ऐसे मामले

पशु चिकित्सक के अनुसार, कोशिकाओं के असमान विभाजन के कारण भ्रूण का यह असामान्य ढांचा बन जाता है। इस तरह के मामले बेहद दुर्लभ होते हैं और अक्सर ऐसे जीव जन्म के बाद लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते। रामकेश साहू ने बताया कि उनका परिवार इस घटना को देखकर हक्का-बक्का रह गया। “एक ओर सामान्य बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है, वहीं दूसरी ओर यह असामान्य बच्चा कुछ ही देर जीवित रह सका।

शोध का नया विषय

विशेषज्ञों का कहना है कि बोकराटोला की यह घटना अध्ययन और शोध का एक दुर्लभ अवसर है। इस तरह की घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि जीवन हमेशा अनुमान के अनुरूप नहीं चलता, और प्रकृति समय-समय पर अपनी विविधता से हमें चकित कर देती है। फिलहाल, यह घटना न केवल सूरजपुर जिले बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं ग्रामीणों के लिए यह कौतूहल और विज्ञानियों के लिए यह प्राकृतिक विविधता का जीवंत उदाहरण बन गया है।









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