गरियाबंद : जिले के चर्चित पत्रकार उमेश कुमार राजपूत हत्याकांड को लेकर एक बार फिर न्याय की मांग तेज हो गई है। घटना को हुए लगभग चौदह वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक दोषियों को सजा नहीं मिल पाई है। लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे उमेश राजपूत के परिजनों ने अब गरियाबंद जिला मुख्यालय में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठने की तैयारी शुरू कर दी है।
परिजनों का कहना है कि 23 जनवरी 2011 को छुरा नगर में उनके घर के अंदर गोली मारकर की गई उमेश राजपूत की हत्या के मामले में स्थानीय पुलिस ने वर्षों तक जांच की, पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर मामला सीबीआई को सौंपा गया, लेकिन लगभग एक दशक बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसी से न्याय की उम्मीद पूरी नहीं हुई है।
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परिजनों ने आरोप लगाया है कि सीबीआई की जांच सुस्त पड़ चुकी है और अब तक मुख्य आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि न्याय प्रक्रिया में तेजी नहीं लाई गई, तो वे गरियाबंद में अनिश्चितकालीन धरना-हड़ताल शुरू करेंगे और राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करेंगे।
स्थानीय पत्रकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं व क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ने भी उमेश राजपूत के परिजनों के इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा है कि पत्रकार की हत्या अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है, और जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।
उल्लेखनीय है कि उमेश कुमार राजपूत गरियाबंद जिले के छुरा क्षेत्र के निर्भीक पत्रकार थे, जो लगातार स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों को उजागर कर रहे थे। उनकी हत्या के बाद प्रदेशभर के पत्रकार संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
अब देखना यह होगा कि परिजनों की इस नई पहल से क्या सरकार और जांच एजेंसियां हरकत में आती हैं, या फिर यह लड़ाई और लंबी खिंचती है।



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