रायपुर : छत्तीसगढ़ की पुलिस व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला के एक ट्वीट ने पूरे महकमे और सियासी गलियारों में भूचाल मचा दिया है। शुक्ला ने दावा किया है कि राज्य के एक रसूखदार मंत्री के गृह ज़िले में पदस्थ एक महिला सब-इंस्पेक्टर (एसआई) ने वहीं के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है।
यह दावा सामने आते ही पुलिस विभाग और प्रशासनिक तंत्र में हलचल मच गई है।
“एफआईआर तक नहीं— कुणाल का आरोप
शुक्ला के अनुसार, पीड़िता महिला अधिकारी बीते कई दिनों से अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश कर रही है, लेकिन न तो थाना स्तर पर सुनवाई हो रही है और न ही उच्चाधिकारियों ने कार्रवाई की हिम्मत दिखाई है। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि पीड़िता को दबाव में लेकर खामोश कराया गया है।
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इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर आम नागरिकों से लेकर समाजसेवी और पुलिसकर्मी तक सवाल उठा रहे हैं — “जब वर्दी में सेवा दे रही महिला को ही न्याय नहीं मिल रहा, तो आम महिला की आवाज कौन सुनेगा?”
राजनीतिक दबाव या संस्थागत मौन?
मामला संवेदनशील इसलिए भी है क्योंकि जिस जिले की यह घटना बताई जा रही है, वहां मंत्री का सीधा प्रभाव माना जाता है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सत्ता से जुड़े दबाव के चलते यह पूरा मामला “फाइलों में दबाने” की कोशिश की जा रही है।
राज्योत्सव से पहले फंसी अफसरशाही
घटना ऐसे वक्त में सामने आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छत्तीसगढ़ दौरा प्रस्तावित है। रायपुर से लेकर सचिवालय तक सुरक्षा और तैयारियों को लेकर अफसरशाही अलर्ट पर है। इसी बीच यह मामला सामने आने से पुलिस तंत्र की साख पर गहरे सवाल खड़े हो गए हैं।
बीते कुछ महीनों में राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं, जिससे शासन की आंतरिक पारदर्शिता पर भी उंगली उठने लगी है।
सरकार और पुलिस — दोनों की परीक्षा
अब निगाहें गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय पर टिकी हैं।
क्या यह मामला भी “अंतः जांच” के नाम पर ठंडे बस्ते में जाएगा, या वर्दी के भीतर की सच्चाई सामने आएगी — यही आने वाले दिनों का सबसे बड़ा सवाल है।



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