रायपुर : पत्रकार उमेश कुमार राजपूत हत्याकांड में अब एक नया खुलासा सामने आया है। जानकारी के अनुसार, इस बहुचर्चित मामले में हत्या कांड की साजिश रचने और उसे अंजाम देने से जुड़ी नई कड़ी जुड़ गई है। सूत्रों के मुताबिक, हत्या में शामिल शूटरों को कलकत्ता (कोलकाता) से बुलाया गया था। यह खुलासा शुटर बुलाने वाले के एक करीबी दोस्त ने किया है,इन दोनों दोस्तों के बीच अच्छी दोस्ती थी लेकिन किसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ और काना फूसी हुई तब जाकर यह बात सामने आई और अब इस हत्या कांड कांड का पूरा खुलासा होने का उम्मीद बढ़ गया है। लेकिन खुलासा करने वाले व्यक्ति कैमरे में नही आना चाहता सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें भी खतरा है। वहीं नाम उनका गुप्त रखने की शर्त पर ही उन्होंने ये बात बताई है की इस जघन्य हत्या कांड की तार अमानक डुप्लीकेट कृषि केंद्रों में बिकने वाले रसायनिक दवाई के बिक्री करने वाले कुछ कृषि केंद्रों के संचालकों से जुड़ा हुआ है। जो घटना को अंजाम देने के बाद लोहझर,मडेली और पांडुका कि सड़क मार्ग की ओर अपराधियों की ओर भाग जाना भी शामिल है। हालांकि इस घटना की अहम सुराग और सबूत को स्थानीय पुलिस थाने से साक्ष्य गायब होने के बाद वह पुलिस पर भी पुरा विश्वास नहीं कर पा रहे हैं जिससे अब मामले की परतें खुलना शुरू हो गया है।
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बता दें कि 23 जनवरी 2011 को गरियाबंद जिले के छुरा नगर में पत्रकार उमेश कुमार राजपूत की उनके निवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रारंभिक जांच स्थानीय पुलिस ने की थी, लेकिन अपराधियों का सुराग नहीं लग पाने पर परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी। लगभग एक दशक से यह मामला सीबीआई के पास है और अब नई जानकारियों के सामने आने से जांच की दिशा एक बार फिर बदल सकती है। वहीं आज 30 अक्टूबर को इस हत्याकांड की विशेष सीबीआई अदालत रायपुर में सुनवाई भी है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक व्यक्ति के एक पुराने साथी ने यह स्वीकार किया है कि हत्याकांड को अंजाम देने के लिए शूटरों को विशेष रूप से कलकत्ता से बुलाया गया था। यह भी बताया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर साजिशकर्ताओं ने पूरी योजना तैयार की थी, जबकि बाहर से आए शूटरों ने मौके पर हत्या को अंजाम दिया।
सीबीआई अब इस नए बयान और उससे जुड़े तथ्यों की पुनः जांच में जुट सकती है। एजेंसी इस बात का भी पता लगाएगी कि आखिर किसने शूटरों से संपर्क किया और इस पूरी साजिश को किसने अंजाम तक पहुंचाया।पुरे केस को लेकर उसका छोटा भाई पिछले पंद्रह सालों से डटा हुआ है अब जाके उन्हें इस मामले में आस जगी है कि इस मामले में अब जाके सालों की मेहनत रंग लाएगी और अपराधी सलाखों के पीछे पहुंचेगी। बड़ी बड़ी जांच एजेंसियां इस बात का पता नहीं लगा पाई थी और उसके छोटे भाई ने हार नहीं मानी और इस हत्याकांड के खुलासे के बहुत करीब हैं।
उधर, उमेश राजपूत के परिजन अब भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं। परिजनों का कहना है कि इतने वर्षों बाद भी दोषियों को सजा नहीं मिल पाना पत्रकार सुरक्षा और न्याय व्यवस्था दोनों पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मामले में ठोस कार्रवाई नहीं होती है तो वे गरियाबंद जिला मुख्यालय में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।इस नए खुलासे के बाद उमेश राजपूत हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है, और उम्मीद जताई जा रही है कि जांच एजेंसी अब दोषियों तक पहुंचने में सफल हो सकेगी।



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