भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला :तीन पटवारी गिरफ्तार,पांच अधिकारी का अता-पता नहीं

भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला :तीन पटवारी गिरफ्तार,पांच अधिकारी का अता-पता नहीं

रायपुर: रायपुर-विशाखापट्टनम के बीच निर्माणाधीन भारतमाला प्रोजेक्ट में 32 करोड़ रुपए के मुआवजा घोटाले में गिरफ्तारी पर लगी रोक हटते ही ईओडब्ल्यू ने मंगलवार देर रात आठ जगहों पर छापेमारी की। एजेंसी ने तीन पटवारियों को गिरफ्तार किया है, जबकि पांच अधिकारी फरार हैं। पांचों के फोन बंद हैं। तीनों गिरफ्तार पटवारियों को बुधवार को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। ईओडब्ल्यू ने उन्हें पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है।

उसी आधार पर 10 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा लिया गया। बसंती ने भेलवाडीह, दिनेश ने नायकबांधा और लेखराज ने टोकरो गांव के किसानों के दस्तावेज तैयार किए। आरोपियों ने एनएचएआई से दो से तीन गुना तक मुआवजा हासिल किया।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - कलमवीर अब दस्यु सरदार बन गए 

महासमुंद निवासी हरमीत खनूजा प्रॉपर्टी डीलर है। उसकी पत्नी तहसीलदार है। हरमीत ने कारोबारी विजय जैन, खेमराज कोसले और केदार तिवारी के साथ मिलकर साजिश रची। इसमें तत्कालीन पटवारी से लेकर एसडीएम तक सभी शामिल थे।

अधिकारियों के निर्देश पर आरोपियों ने किसानों से संपर्क किया, उन्हें मुआवजा न मिलने का डर दिखाया और फिर पटवारियों के साथ मिलकर बैक डेट में फर्जी बंटवारा, नामांतरण तथा ब्लैंक चेक और आरटीजीएस फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाए। आईसीआईसीआई बैंक, महासमुंद में खाते खुलवाकर मुआवजे की राशि कई निजी संस्थाओं में जमा कराई गई और बाद में आपस में बांट ली गई।

ईओडब्ल्यू ने तीन पटवारियों दिनेश पटेल, लेखराज देवांगन और बसंती धृतलहरे को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, पांच आरोपी तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, आरआई रोशन लाल वर्मा, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू एजेंसी के पहुंचने से पहले ही अपने घर से फरार हो गए। अब इनकी संपत्तियां कुर्क की जाएंगी।

जांच में खुलासा हुआ है कि नायकबांधा जलाशय की जमीन के नाम पर भी मुआवजा प्रकरण बनाया गया। किसानों के नाम पर जमीन का रिकॉर्ड चढ़ाया गया और उसी आधार पर शासन से मुआवजा लिया गया। पटवारियों ने मिलीभगत कर पहले से मुआवजा दी जा चुकी डूबान क्षेत्र की जमीन का दोबारा मुआवजा लिया।

लगभग 2.34 करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान कराया गया। नायकबांधा, भेलवाडीह और टोकरो सहित आसपास की जमीनों को कई टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग नाम से रजिस्ट्री और नामांतरण कराया गया। फिर एक ही जमीन पर आधा दर्जन लोगों को मुआवजा दिलवाया गया। उदाहरण के तौर पर किसी जमीन का मुआवजा 30 लाख मिला तो किसान को केवल 13-14 लाख रुपए दिए गए और बाकी रकम आरोपियों ने रख ली।

ये भी पढ़े  : मोंथा तूफान से बस्तर में रेल सेवा हुई ठप, अरकू घाटी में फिर ट्रैक पर आ गिरा पहाड़ का मलबा

ईओडब्ल्यू ने इस मामले में पहले प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा, विजय जैन, केदार तिवारी और उसकी पत्नी उमा तिवारी को गिरफ्तार किया था।

ईओडब्ल्यू ने पटवारी से लेकर एसडीएम के बाद अब तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका की जांच शुरू कर दी है, क्योंकि मुआवजा प्रकरण को पास करने का अधिकार कलेक्टर के पास था। चर्चा है कि एसडीएम के माध्यम से कलेक्टरों तक भी रकम पहुंचाई गई। जांच के घेरे में चार तत्कालीन कलेक्टर बताए जा रहे हैं।









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments