इस फ्रिज का दरवाजा लकड़ी का होता है और यह खुले आसमान के नीचे बनाया जाता है. देखने में यह किसी लकड़ी की अलमारी जैसा लगता है, लेकिन असल में यह दूध, दही और खाने-पीने की चीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
यहां के लोग इसे "नेचुरल फ्रिज" कहते हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस फ्रिज के भीतर का तापमान बाहर की हवा से कई डिग्री कम रहता है. इसकी बनावट ऐसी होती है कि ठंडी हवा अंदर कैद रहती है और गर्मी बाहर नहीं जा पाती. यही वजह है कि दूध और दही इसमें कई दिनों तक खराब नहीं होते.
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मीडिया रिपोर्ट बताती है कि गांववाले इसे "मिल्क हट्स" भी कहते हैं. इसका इस्तेमाल खासतौर पर दूध से दही जमाने और दूध को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. यह परंपरा यहां कई दशकों से चली आ रही है और आज भी लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.
BBC Hindi ने भी इस फ्रिज पर एक ग्राउंड रिपोर्ट की है. वीडियो में दिखाया गया है कि गांव के लोग किस तरह दूध को लकड़ी के फ्रिज में रखते हैं और बिना बिजली के भी दही आसानी से जम जाती है. उनके लिए यह न सिर्फ ज़रूरत है बल्कि गांव की संस्कृति का हिस्सा भी बन चुका है.
Greater Kashmir की रिपोर्ट में कहा गया है कि उरी और आसपास के कई गांवों में लोग ऐसे फ्रिज का उपयोग करते हैं. इनका निर्माण लकड़ी और पत्थर से किया जाता है. ये नेचुरल ठंडक पर आधारित होते हैं और गांववालों के लिए बिजली की कमी में बेहद मददगार साबित होते हैं.
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले जब बिजली की पहुंच दूर-दराज़ के इलाकों तक नहीं थी, तब यही लकड़ी के फ्रिज लोगों के लिए सबसे बड़े सहारे थे. अब भले ही कई घरों में इलेक्ट्रिक फ्रिज आ गए हों, लेकिन यह अनोखा तरीका आज भी जिंदा है.
इस फ्रिज ने साबित किया है कि परंपरागत ज्ञान और स्थानीय जुगाड़ आज भी आधुनिक तकनीक को चुनौती दे सकते हैं. यह न सिर्फ गांव की पहचान है बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इसमें बिजली की खपत नहीं होती और प्रदूषण भी नहीं फैलता. हालांकि आप इसे अपने घर में आसानी से नहीं बना सकते हैं.



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