हजारों करोड़ रुपये का अवैध सट्टेबाज़ी का साम्राज्य खड़ा करने वाला रवि उप्पल दुबई से फरार

हजारों करोड़ रुपये का अवैध सट्टेबाज़ी का साम्राज्य खड़ा करने वाला रवि उप्पल दुबई से फरार

हजारों करोड़ रुपये का अवैध सट्टेबाज़ी का साम्राज्य खड़ा करने वाला रवि उप्पल जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गया है. महादेव ऑनलाइन बेटिंग एप का सह संस्थापक रवि उप्पल दुबई में रह रहा था, जहां भारतीय जांच एजेंसियों की भी उस पर नजर थी. उसे दिसंबर 2023 में इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि अब खबर है कि वह दुबई से कहीं दूसरी जगह भाग गया है.

हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, यूएई प्रशासन ने न तो भारत को उप्पल के दुबई छोड़ने की जानकारी दी है और न ही यह बताया है कि वह किस देश भागा है. इतना ही नहीं, वहां की सरकार ने उसके खिलाफ चल रही प्रत्यर्पण प्रक्रिया को बंद करने की भी तैयारी शुरू कर दी है.

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ED-CBI के लिए बड़ा झटका

यह भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इन तीनों एजेंसियों को उम्मीद थी कि भारत और यूएई के बीच मौजूद करीबी राजनयिक संबंधों को देखते हुए उप्पल और उनके साझेदार सौरभ चंद्राकर को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकेगा.

अखबार के मुताबिक सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया, 'हमें औपचारिक चैनलों के माध्यम से सूचना मिली है कि रवि उप्पल यूएई छोड़ चुका है. हालांकि दुबई प्रशासन ने उसके निकलने का रास्ता या गंतव्य साझा नहीं किया है, जबकि उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड नोटिस अब भी एक्टिव है.' अधिकारी ने यह भी कहा कि 'यूएई ने रवि उप्पल के प्रत्यर्पण से संबंधित कार्यवाही बंद करने का प्रस्ताव भी दिया है.'

सौरभ चंद्राकर संग मिलकर खड़ा किया बेटिंग सिंडिकेट

रवि उप्पल और उनके पार्टनर सौरभ चंद्राकर ने वर्ष 2018 में महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप सिंडिकेट की शुरुआत की थी. यह अवैध सट्टा नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है और सरकार की तरफ से कई प्लेटफॉर्म्स व ऐप्स पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद अब भी सक्रिय बताया जाता है. इस नेटवर्क के जरिए लोग पोकर, अन्य कार्ड गेम्स, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल और यहां तक कि चुनावी परिणामों पर भी सट्टा लगा सकते थे.

प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में दावा किया था कि यह अवैध सट्टा साम्राज्य देश के अलग-अलग शहरों में कम से कम 3,200 सट्टा पैनल संचालित कर रहा था और रोज़ाना लगभग ₹240 करोड़ का टर्नओवर पैदा करता था. ईडी की जांच में पूर्व छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी आरोपी के रूप में सामने आया है.

यूएई ने 45 दिन में ही कर दिया रिहा

दिसंबर 2023 में दुबई में गिरफ्तार किए जाने के बाद भारत ने 16 जनवरी 2024 को उप्पल के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की थी, लेकिन यूएई ने उसे 45 दिनों के भीतर रिहा कर दिया. इसके बाद ईडी और सीबीआई ने कई दौर की बातचीत की, मगर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई.

सौरभ चंद्राकर को भी अक्टूबर 2024 में दुबई में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल उसे हाउस अरेस्ट में रखा गया है. उसके प्रत्यर्पण को लेकर भारत ने अक्टूबर 2024 में अनुरोध भेजा था, लेकिन वह प्रक्रिया भी अब तक आगे नहीं बढ़ पाई है. ईडी ने इसी दौरान दोनों के खिलाफ फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर (FEO) की कार्यवाही शुरू की थी, जो रायपुर की अदालत में लंबित है.

ईडी को यह भी जानकारी मिली थी कि वर्ष 2024 में दोनों आरोपियों ने वानुआतु (दक्षिण प्रशांत महासागर के 80 द्वीपों वाला देश) की नागरिकता हासिल कर ली थी. हालांकि रवि उप्पल वहां भागा है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है. सूत्रों के मुताबिक सौरभ चंद्राकर अभी भी यूएई में ही मौजूद है.

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UAE का भारत पर गलत इल्जाम

एक अन्य सरकारी अधिकारी के अनुसार, 'यूएई प्रशासन ने यह कहकर प्रत्यर्पण से इनकार किया कि भारत की ओर से अनुरोध समय पर नहीं मिला, लेकिन यह बिल्कुल गलत है. भारत ने सभी दस्तावेज़ निर्धारित समयसीमा में औपचारिक चैनलों के माध्यम से भेजे थे. अगर आरोपी को रिहा भी कर दिया गया था, तो भी प्रत्यर्पण का अनुरोध मिलने के बाद दोबारा गिरफ्तारी की जा सकती थी.'

अधिकारी ने आगे कहा कि 'रवि उप्पल के प्रत्यर्पण को बंद करने और भारत को उनके निकलने की जानकारी न देने का फैसला वित्तीय अपराधों में सहयोग की भावना के विपरीत है. यह आपसी कानूनी सहायता और भारत-यूएई प्रत्यर्पण संधि की भावना के अनुरूप नहीं है.'

रवि उप्पल का इस तरह फरार होना भारत की जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. अब एजेंसियों की निगाहें यह पता लगाने पर टिकी हैं कि वह आखिर कहां गए हैं और क्या उसे वापस लाने का कोई कानूनी रास्ता अब भी बचा है.









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