जालोर जिले में पशुपालकों के बीच नेपियर घास, जिसे स्थानीय भाषा में हाथी घास कहा जाता है, तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह घास अपनी ऊंचाई (लगभग 12 से 16 फीट), तेजी से बढ़ने की क्षमता और उच्च पौष्टिक गुणों के कारण डेयरी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे एक बार लगाने के बाद 10 वर्षों तक दोबारा रोपाई की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसानों का श्रम और लागत बचता है. यह एक बहुवर्षीय फसल है जो हर कटिंग में भरपूर हरा चारा देती है, जिससे पशुओं को सालभर पोषण मिलता रहता है.
हाथी घास की पत्तियां 100 से 120 सेंटीमीटर तक लंबी और 6 से 8 सेंटीमीटर तक चौड़ी होती हैं. इसकी हल्की मिठास के कारण पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं, जिससे उनके दूध उत्पादन में 15–20% तक बढ़ोतरी होती है. इस घास में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पशुधन के स्वास्थ्य के लिए उत्कृष्ट है. यही वजह है कि डेयरी संचालक अब पारंपरिक चारे (जैसे ज्वार या बाजरा) की बजाय नेपियर को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसके कारण जालोर में डेयरी किसानों की कुल आय में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है.
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कम सिंचाई और मिट्टी के लिए लाभप्रद
नेपियर घास का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे कम पानी और कम देखभाल में भी आसानी से उगाया जा सकता है. जालोर जैसे सूखे क्षेत्रों के लिए यह एक आदर्श फसल मानी जा रही है क्योंकि यह पानी की कमी को आसानी से झेल लेती है. इतना ही नहीं, इसकी जड़ें मिट्टी को मजबूती देती हैं और भूमि कटाव से भी सुरक्षा करती हैं, जिससे खेत की मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है. वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी सहायक मान रहे हैं.
किसानों की राय — डेयरी के लिए वरदान
स्थानीय किसान बलवंत लखानी बताते हैं, “नेपियर घास हमारी डेयरी के लिए वरदान साबित हुई है. एक बार लगाने के बाद बार-बार रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती, और हर 45 से 60 दिन में कटिंग तैयार हो जाती है. यह घास मीठी होती है और हमारे पशु इसे बेहद पसंद करते हैं, जिससे दूध की मात्रा बढ़ती है और हमारे परिवार की आमदनी दोगुनी हो गई है.”
स्थायी समाधान और गेम-चेंजर
जालोर जिले के कई इलाकों में अब हरे चारे की कमी खत्म होती दिख रही है. पशुपालक इसे डेयरी सेक्टर का गेम-चेंजर बता रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि किसान इसे ड्रिप सिंचाई और ऑर्गेनिक खाद के साथ अपनाएं, तो नेपियर घास सालभर भरपूर चारा दे सकती है और पशुधन स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है.



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