उदंडता और अराजकता से लोकतंत्र को अपहृत करना निंदनीय व अपराधिक कृत्य है ,ऐसे कृत्यों की निंदा की ही जानी चाहिए ,पर जो निंदक हैं वों अपने गिरेबाहं में झाकेंगे गलत का जवाब गलत कैसे सही हो सकता है ? जिस देश में प्रधानमंत्री को गाली देने का सगल हो, जहाँ अपराधियों के विधायिका में बैठने का चलन हो ,जहां गैंगस्टर और दस्यु सांसद चुने जाते हैं, वहां थोथी आदर्श की बातें कब तक टिकेंगी ? धुर जातिय जकड़न बिहार की जिसकी अकड़न पूरा देश महसूस करता है ,उन्हें राजनीति का मर्मज्ञ कौन और क्यों बताता है, क्या जाति ही निर्वाचन का एकमात्र आधार होना चाहिए और यदि ऐसा है तो वों कैसी राजनीतिकसमझ है, प्रवास के कई कारण होते हैं कोई अपने जड़ो से दूर अपनी चाहत से नही होता ,जीवन से आहत ,संसाधनों का आभाव ,अवसर की तलाश ,जीवनशैली में उच्चतम तक पहुचने की आस किसी को भी अपनी मिट्टी से दूर करती है ,उसे प्रवासी बनाती है, छत्तीसगढ़ भी इन्ही परिस्थितियों से जूझ रहा है।छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के बयानों से माहौल गर्म है, ऐसा नही है की ये पहली बार हो रहा है ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो ,जैन ,मुनियों पर कटाक्ष से लेकर ताजा बयानों तक एक ही समानता है ,भाजपा का शासन विरोध में कांग्रेस और ऐसे वक्तव्य ,सबकुछ का अहसास करा देते हैं भाजपा को लगता है की क्षेत्रीय अस्मिता उसकी राष्ट्रीय छवि के नीचे दब जाएगी ,जबकि क्षेत्रीय दलों के साथ ही भाजपा दो दो हाथ कर रही ,कांग्रेस नेपथ्य में है ,राष्ट्रीय नही दो तीन प्रदेशों में सीमित हो गई है ,फिर भाजपा क्षेत्रीय दल के छत्तीसगढ़ में उभार का मौका खुद क्यों बना के दे रही है?
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पूर्ववर्ती भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ी अस्मिता के रथ पर सवार होकर आई थी अपनों के वार ,अपने कर्मों से भ्रष्टाचार की बली चढ़ गई ,पर छत्तीसगढ़ी अस्मिता जगा गई ,घपले घोटालों से त्रस्त छत्तीसगढ़ की जनता ने लकवा ग्रस्त सरकार और प्रशासन देखा है, जहां की पुलिस खुद सट्टे खिलवाती हो दो लाख नगद और दो करोड़ के गहने चोरी के आरोपों से घिरी हो, सिपाही से लेकर आईपीएस तक सट्टे से लेकर अवैध वसूली के संरक्षक हो, पटवारी से लेकर कलेक्टर और प्रमुख सचिव तक भ्रष्टाचार के दाग हो ,पूर्व मुख्यमंत्री ,पूर्व मंत्री ,पूर्व विधायक और विधायकों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही हो ,जो नामजद आरोपी हों, व्यापारी और अधिकारी दलाल की भूमिका निभाएं जिस मीडिया को इस भ्रष्टाचार की कानोकान खबर न लगी हो वों सब तथाकाथित कांसा चोरी को डकैती बता रहे ,डकैतों से बचने चोर से दूर रहने की सलाह दे रहे ,उनकी नियत साफ समझी जा सकती है, हमे डकैतों की जगह अपनों की चोरी पसंद है, और यदि चोरी हुई है तो सरकार क्यों इतनी अकर्मण्य है ,आरोप की सिद्धि किसकी जवाब दारी है ?
छत्तीसगढ़ में आंध्रा ,केरला ,उत्कल, गौड़ ,अग्रसेन -------भवन है क्या ये जातिय और प्रादेशिक पहचान की मिसाल नही है ,इन पर शर्त ये की ये भवन अपने ही समाज के लोगों को दी जायेंगी क्या यही छत्तीसगढ़ियों के लिए आपकी आत्मीयता है, 25 वर्ष हो गए छत्तीसगढ़ को बने पर राजधानी की तीनों शहरी सीटो पर कोई छत्तीसगढ़िया विधायक न बन पाया ,भिलाई को दशकों से छत्तीसगढ़िया जनप्रतिनिधि अभी तक नहीं मिला और प्रदेश में ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं ,स्थानीय प्रत्याशियों के चयन के समय जातिय समीकरण बताने वाले राजनीतिक दल कैसे और किस आधार पर बाहरियों को प्रत्याशी बनाते है ? निगम मंडलों में चयन पार्टी पदाधिकारियों की सूची में गैर छत्तीसगढ़ियों की भरमार क्यों ? छत्तीसगढ़ियों ने बाहरियों को चूना भी, वों मंत्री भी बने ,छत्तीसगढ़ियों ने उन्हें अंगीकार कर लिया पर उन्होंने छत्तीसगढ़ को कितना आत्मसात किया ? समृद्धि जैसे आई बुद्धि में वृद्धि हो गई,भाग्य विधाता बन छत्तीसगढ़ की पहचान बदलने लगे जिन राजनीतिक पंडितों को लगता है की क्रांति सेना गलत कर रहे वों भुलावे में हैं, लालू, मुलायम, ममता सब क्षेत्रीय अस्मिता के दम पर अपने प्रदेश के मीत बने ,क्षेत्रीय दलों का उदय ऐसे ही हुआ । दोष रहित राजनीति कब रही है छत्तीसगढ़ की माटी पर छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों के लिए छत्तीसगढ़ के बेटे का बोलना जरुरी है, छग की भविष्य की राजनीति के लिए यही तेवर जरुरी है क्योंकि ------------------------- ----------भारत माँ के रतन बेटा मै बढ़िया -में छत्तीसगढ़िया अऊँगा
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी



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