हर साल 7 नवंबर को पूरे देश में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने का नहीं, बल्कि जनता को जीवनरक्षक जानकारी से सशक्त करने का भी प्रतीक है। कैंसर एक ऐसा रोग है जो यदि प्रारंभिक अवस्था में पहचान लिया जाए तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि भारत में अब भी लगभग 70 प्रतिशत कैंसर के मरीजों को बीमारी का पता तब चलता है, जब वह अंतिम चरण में पहुंच चुकी होती है। छत्तीसगढ़ भी इस समस्या से अछूता नहीं है। राज्य में कैंसर के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई है। सबसे अधिक मामले स्तन कैंसर, मुख कैंसर, फेफड़ों और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के पाए जा रहे हैं। तंबाकू सेवन, असंतुलित खानपान, प्रदूषण और जागरूकता की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। ग्रामीण और अर्थशहरी क्षेत्रों में आज भी लोग कैंसर के शुरुआती लक्षणों को सामान्य बीमारी समझकर अनदेखा कर देते हैं, जिसके चलते उपचार में देर हो जाती है।
इन्हीं कारणों से कैंसर के प्रति जागरूकता और नियमित जांच का महत्व और बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (वो) के अनुसार, विश्वभर में हर साल करीब 10 मिलियन लोगों की मृत्यु कैंसर से होती है, जबकि भारत में हर साल लगभग 11 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं। इनमें से एक बड़ा हिस्सा मध्य भारत, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से आता है, जहाँ अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में जांच सुविधाएं और जानकारी सीमित हैं।
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित एमएमआई नारायणा कैंसर केयर इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। अस्पताल की विशेषज्ञ टीम आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से कैंसर के इलाज में नई ऊँचाइयाँ हासिल कर रही है। अस्पताल की अनुभवी टीम में शामिल हैं- डॉ. भारत भूषण (सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट),
डॉ. देवव्रत हिसीकर (मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट),
डॉ. अखिलेश साहू (रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट),
डॉ. अवधेश भारत (रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट),
और डॉ. आकाशा चिकलेकर (सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट)।
इन विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर के उपचार में अब अत्याधुनिक तकनीकों, जैसे इमेज-गाइडेड रेडिएशन, लक्षित कीमोथैरेपी और एडवांस सर्जिकल मेथड्स, ने इलाज को पहले की तुलना में कहीं अधिक सटीक और सफल बनाया है। साथ ही, अस्पताल समय-समय पर फ्री स्क्रीनिंग कैम्प और हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित करता है ताकि अधिक से अधिक लोग जांच करवा सकें और बीमारी का प्रारंभिक पता चल सके। डॉ. भारत भूषण का कहना है कि "कैंसर से लड़ाई में पहला और सबसे बड़ा हथियार है जागरूकता। अगर लोग शुरुआती लक्षणों को पहचानें और जांच करवाएं, तो हम अधिकांश मरीजों को स्वस्थ जीवन दे सकते हैं।" डॉ. अखिलेश साहू और डॉ. अवधेश भारत के अनुसार, "रेडिएशन थेरेपी के आधुनिक उपकरणों से अब कैंसर के ट्रीटमेंट को अत्पधिक सटीक बनाया जा सका है, जिससे मरीजों को कम साइड इफेक्ट्स और बेहतर रिकवरी मिलती है।" वहीं, डॉ. देवव्रत हिसीकर ने कहा, "कीमोथैरेपी के नए तरीके अब मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए बेहतर परिणाम दे रहे हैं।"
एमएमआई नारायणा कैंसर केयर की टीम ने इस अवसर पर नागरिकों से अपील की है कि वे तंबाकू और शराब से दूरी बनाएं, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, संतुलित आहार लें और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं। टीम का मानना है कि जागरूकता ही वह माध्यम है, जिससे कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या को घटाया जा सकता है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक संदेश है कि कैंसर से डरने की नहीं, समय रहते उसका सामना करने की जरूरत है।
छत्तीसगढ़ जैसे उभरते राज्यों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं तेजी से विकसित हो रही हैं, वहीं जागरूकता का प्रसार ही आने वाले वर्षों में कैंसर के खिलाफ सबसे मजबूत कवच बन सकता है।
एमएमआई नारायणा कैंसर केयर, रायपुर के डॉक्टरों का यही संदेश है -
"कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो इलाज संभव है और जीवन अमूल्य।"



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