विकास के नाम पर विनाश — गांवों की बदहाली,बेलगाम हुआ एनटीपीसी सीपत

विकास के नाम पर विनाश — गांवों की बदहाली,बेलगाम हुआ एनटीपीसी सीपत

बिलासपुर/ सीपत : एनटीपीसी सीपत का 51वां स्थापना दिवस रोशनी, जश्न और व्यवस्थापकीय तामझाम में सराबोर रहा, लेकिन उसी रोशनी के बाहर के गांव आज भी राख, धूल और निराशा की गिरफ्त में हैं। जश्न और झिलमिलाहट के बीच दर्द की यह सच्चाई गुरुवार को तब सामने आई जब जिला पंचायत सदस्य और सीपत ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र धीवर ने प्रेस वार्ता में एनटीपीसी प्रबंधन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी अब विकास का नहीं, बल्कि “विनाश का प्रतीक” बन चुका है। कॉलोनी के भीतर बिजली की जगमग है, पर बाहर के गांवों में अंधेरा और राख उड़ रही है।

धीवर ने कहा कि सीपत, जांजी, कौड़िया, देवरी, रलिया, कर्रा और गतौरा जैसे प्रभावित गांव अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां की सड़कें टूटी हुई हैं, पानी गंदा है, और रोजगार पूरी तरह नदारद। राखड़ डेम से उड़ती राख ने खेतों को बर्बाद कर दिया है, और लोगों की साँसों में धूल भर दी है। उन्होंने कहा कि जिस विकास की तस्वीर एनटीपीसी मंचों पर दिखाता है, वह सिर्फ उसकी कॉलोनी की चारदीवारी तक सीमित है, बाहर की ज़मीन पर वह विकास “विनाश” में बदल गया है।

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प्रेस वार्ता में धीवर ने कहा कि अब जनता जवाब चाहती है। उन्होंने कहा कि स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता क्यों नहीं दी जा रही, राखड़ डेम से प्रदूषण रोकने की ठोस पहल क्यों नहीं की गई, और दलदल प्रभावित किसानों को मुआवजा अब तक क्यों नहीं मिला। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि एनटीपीसी का सीएसआर फंड आखिर जाता कहाँ है, घटिया निर्माण करने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, और स्थानीय मजदूरों के शोषण पर प्रबंधन मौन क्यों है।

धीवर ने कहा कि पाइपलाइन और रेललाइन के निर्माण से जिन गांवों की ज़मीन बर्बाद हुई, उन्हें मुआवजा तक नहीं मिला। सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं और प्रशासन आंखें मूँदे बैठा है। उन्होंने चेतावनी दी — “अब जनता राख नहीं, हक़ मांगेगी। यह लड़ाई गाँव-गाँव से उठने वाली आवाज़ बनेगी।

धीवर ने बताया कि शुक्रवार शाम 7 बजे सीपत के नवाडीह चौक में कांग्रेस कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और प्रभावित गांवों के सरपंच मिलकर कैंडल मार्च निकालेंगे। यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि हक़ की पुकार होगी। उन्होंने कहा — “यह आंदोलन किसी पार्टी का नहीं, बल्कि सीपत की जनता का है। अब रोशनी के भीतर छिपे अंधेरे को उजागर करने का वक्त आ गया है। एनटीपीसी को जवाब देना ही होगा कि उसकी बिजली की चकाचौंध के बावजूद आसपास के गांव अब भी अंधेरे में क्यों हैं।

धीवर ने यह भी आरोप लगाया कि बार-बार शिकायतों और निवेदन के बावजूद जिला प्रशासन और कलेक्टर ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। प्रदूषण, राख उड़ने और किसानों की क्षतिपूर्ति जैसी समस्याएँ महीनों से लंबित हैं। उन्होंने कहा कि यह मौन, जनहित की अनदेखी और औद्योगिक तानाशाही को बढ़ावा देने जैसा है। अब जब जनता का सब्र टूटने को है, तो प्रशासन को भी तय करना होगा कि वह जनता के साथ है या बेलगाम संस्थान के।









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