पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने रचा इतिहास,भारत की सक्षम टीम में जगह बनाने वाली पहली पैरा एथलीट

पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने रचा इतिहास,भारत की सक्षम टीम में जगह बनाने वाली पहली पैरा एथलीट

वर्ल्ड पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली शीतल देवी का सपना आखिरकार पूरा हो गया है. पिछले साल नवंबर में अमिताभ बच्चन के लोकप्रिय टेलीविजन शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के दौरान जन्म से ही बिना हाथ के पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने अपनी दिली इच्छा जाहिर की थी. उनका कहना था कि एक दिन वो एबल-बॉडी एथलीटों के साथ सबसे ऊंचे लेवल पर मुकाबला करेंगी. अब ठीक एक साल बाद नवंबर 2025 में उनका सपना एक शानदार हकीकत बन गया है.

नेशनल सेलेक्शन ट्रॉयल्स में किया शानदार प्रदर्शन:- हरियाणा के सोनीपत में हुए नेशनल सेलेक्शन ट्रॉयल्स में एक जैसी परिस्थितियों में 60 से ज्यादा एबल-बॉडी तीरंदाजों के बीच मुकाबला करते हुए 18 साल की शीतल ने चार दिनों के मुकाबले के बाद तीसरा स्थान हासिल किया. उन्होंने क्वालिफिकेशन राउंड में कुल 703 अंक (352+351) हासिल किए, जो टॉप क्वालिफायर तेजल साल्वे के शानदार कुल अंकों के बराबर था. फाइनल रैंकिंग में तेजल ने 15.75 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया, वैदेही जाधव ने 15 अंकों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया और शीतल ने महाराष्ट्र की ज्ञानेश्वरी गाडधे (11.5) को पछाड़कर 11.75 अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया.

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कटरा में शुरू की थी तीरंदाजी की ट्रेनिंग:- कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ट्रेनिंग लेने वाली शीतल पहले ही पैरा तीरंदाजी में पहली महिला बिना हाथों वाली वर्ल्ड चैंपियन बनकर इतिहास रच चुकी हैं. हालांकि पेरिस पैरालंपिक के बाद की यात्रा, जहां उन्होंने मिक्स्ड टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, बहुत मुश्किल थी. पेरिस के बाद शीतल पटियाला चली गईं और कोच गौरव शर्मा से ट्रेनिंग लेने लगीं. गौरव शर्मा ने वर्ल्ड आर्चरी के एक नियम में बदलाव के बाद उन्हें अपनी शूटिंग का तरीका फिर से बनाने में मदद की, जिसमें एड़ी को धनुष से छूने की इजाजत नहीं थी. इस बदलाव के लिए केवल पैर के अंगूठे और अगले हिस्से का इस्तेमाल करके शूट करने के लिए एडजस्टमेंट की जरूरत थी. गौरव शर्मा ने PTI को बताया, “उसे शुरू से शुरुआत करनी पड़ी. नए तरीके के लिए बहुत ज्यादा कंट्रोल और स्टेबिलिटी की जरूरत थी. कई दिन ऐसे थे जब उसके पैर में दर्द होती थी, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी.

एक साल पहले शुरू की तैयारी:- गौरव शर्मा ने बताया कि शीतल की तैयारी लगभग एक साल पहले शुरू हुई थी. वो हमेशा सुलझी हुई और फोकस्ड रहती है, सच कहूं तो जब फाइनल लिस्ट आई तो मैं हैरान रह गया. ये अप्रत्याशित और अविश्वसनीय है. एक पैरा-एथलीट देश के सबसे अच्छे एबल-बॉडी तीरंदाजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मुकाबला कर रही है. शर्मा ने आगे कहा कि उनका अगला लक्ष्य शीतल के पैरा और एबल-बॉडी कैंपेन के बीच बैलेंस बनाना है. अगले साल एशियन पैरा गेम्सहमारा मुख्य फोकस होगा, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन हम उसे एबल-बॉडी सीनियर इवेंट के लिए भी ट्रॉयल देने का प्लान बना रहे हैं और देखेंगे कि वो कैसा परफॉर्म करती है?









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