आइए जानतें हैं कैसे करें गन्ने के खेतों में सहफसली?

आइए जानतें हैं कैसे करें गन्ने के खेतों में सहफसली?

गन्ने की फसल से किसानों को मोटी कमाई होती है, लेकिन इसे उगाने में भी भारी लागत लगानी पड़ती है. इन दिनों किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई कर रहे हैं, किसान अगर वैज्ञानिक ढंग से गन्ने की खेती करें तो साथ में अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं. इससे न केवल गन्ने की फसल की लागत कम आएगी, बल्कि अतिरिक्त आमदनी भी मिलेगी. किसान गन्ने के साथ दलहन, तिलहन या अन्य फसलें लगा सकते हैं, जो गन्ने की फसल के लिए भी फायदेमंद हो सकती हैं. इससे किसान अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. वैज्ञानिक ढंग से खेती करने से किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है.

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स्थान के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि गन्ने की फसल में भारी लागत लगती है और यह फसल करीब 1 साल में उत्पादन देती है, जिससे छोटे किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. लेकिन वैज्ञानिक ढंग से गन्ने की बुवाई करने से सहफसली की जा सकती है, जिससे अतिरिक्त आमदनी ले सकते हैं. शरदकालीन गन्ने की बुवाई के दौरान किसान गन्ने के खेतों में हरी सब्जियां लगा सकते हैं. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिलेगी और किसान गन्ने की फसल को बेहतर तरीके से तैयार कर सकेंगे. सहफसली से न केवल आय बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी. इससे किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी.

कैसे करें गन्ने के खेतों में सहफसली?
गन्ने की फसल में सहफसली करने के लिए किसान ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करें. ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करते समय लाइन दो लाइनों के बीच पर्याप्त दूरी रहती है और उस जगह पर किसान कई तरह की सब्जियां उगा सकते हैं. किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच सब्जियां उगा सकते हैं. किसान आलू की फसल उगा सकते हैं, किसान लहसुन, प्याज, मटर, मसूर या चना भी उगा सकते हैं. किसान इन फसलों को उगाकर 2 महीने में अतिरिक्त आमदनी ले सकते हैं. गन्ने के बीच सहफसली करने से खरपतवार नहीं उगेंगे. जिससे गन्ने के पौधे मजबूती के साथ बढ़ेंगे.

इस बात का रखे ध्यान
गन्ने में सहफसली करते समय ध्यान रखें कि ऐसी फसलों को ही लगाएं जो फरवरी से मार्च के पहले सप्ताह तक काटी जा सकती हो, क्योंकि उस समय मुख्य फसल गन्ने में कल्ले तेजी से निकलते हैं और यह समय गन्ने की बढ़वार के लिए उपयुक्त होता है. ऐसे में ध्यान रखें कि सहफसली के तौर पर लगाई हुई फसल हमारी मुख्य फसल को प्रभावित न कर सके.

 









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